Sarva Pitru Amavasya 2025: सर्वपितृ अमावस्या क्यों है खास ? पढ़ें इस पावन तिथि की अनोखी कहानी
punjabkesari.in Sunday, Sep 21, 2025 - 05:00 AM (IST)

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Sarva Pitru Amavasya 2025: हिन्दू पंचांग के अनुसार आज 21 सितम्बर को सर्वपितृ अमावस्या मनाई जा रही है और इसी के साथ आज श्राद्ध पक्ष का भी समापन हो जाएगा। इस खास दिन पर पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म जैसे धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। इन क्रियाओं का उद्देश्य पूर्वजों की आत्मा को शांति प्रदान करना होता है। यदि किसी कारणवश पितृ पक्ष के दौरान किसी स्वर्गीय परिजन का श्राद्ध नहीं कर पाए, या फिर किसी व्यक्ति की मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं है, तो उनका श्राद्ध सर्वपितृ अमावस्या के दिन किया जा सकता है। यह दिन उन सभी पूर्वजों के लिए समर्पित होता है जिनका तिथि अनुसार श्राद्ध नहीं हो पाया हो।
सर्वपितृ अमावस्या की कथा
प्राचीन समय की बात है, अग्निष्वात और बर्हिषपद नाम के दो पितृ देव थे, जिनकी एक बेटी अक्षोदा थी। अक्षोदा ने आश्विन मास की अमावस्या पर अपने पूर्वजों को खुश करने के लिए कड़ी तपस्या की। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर सभी पितृ देवता उसके सामने प्रकट हुए। उस समय अक्षोदा का ध्यान केवल पितृ अमावस्या पर था, जिसे वह बड़ी श्रद्धा से देख रही थी। उसने अमावसु से प्रार्थना की कि वह उसे स्वीकार करें और उनका साथ देना चाहती है।
इस बात पर पितृ देव क्रोधित हो गए और उन्होंने अक्षोदा को श्राप दिया कि उसे पितृ लोक छोड़कर पृथ्वी लोक में जन्म लेना होगा। अक्षोदा को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने क्षमा याचना की। तब पितृ देवताओं ने दया दिखाते हुए कहा कि वह मत्स्य कन्या के रूप में जन्म लेगी। उस कन्या से महर्षि पाराशर विवाह करेंगे, और उनके पुत्र के रूप में भगवान वेद व्यास का जन्म होगा। इसके बाद अक्षोदा फिर से पितृ लोक में लौट सकेगी।
पितृ अमावसु, जिसने अपने नियमों पर दृढ़ता दिखाई और स्त्री के सौंदर्य से विचलित नहीं हुआ, उसे अन्य पितृ देवताओं ने सम्मानित किया और उसे यह वरदान दिया कि यह दिन उसके नाम से जाना जाएगा। तभी से आश्विन मास की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या के नाम से मान्यता मिली।