Sanskrit Shloka: हर दिन पढ़ें गीता के ये श्लोक, जीवन में होंगे बड़े चमत्कार

punjabkesari.in Sunday, Nov 09, 2025 - 11:34 AM (IST)

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 Sanskrit Shlok: श्रीमद्भगवद्गीता को जीवन दर्शन का सर्वोत्तम ग्रंथ माना जाता है। इसमें भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिए, वे आज भी हमारी सोच को बदलकर हर कदम पर सफलता दिला सकते हैं।

गीता के अमृत श्लोक:

कर्मयोग का मूल मंत्र (अध्याय 2, श्लोक 47)
यह श्लोक कर्म की शक्ति और परिणाम के प्रति अनासक्ति का सबसे बड़ा उपदेश है-

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥

तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, उसके फलों में कभी नहीं। तुम कर्मों के फल की इच्छा वाले मत बनो और न ही कर्म न करने में तुम्हारी आसक्ति हो। यह श्लोक हमें प्रक्रिया पर ध्यान  केंद्रित करने की शिक्षा देता है। जब हम परिणाम की चिंता किए बिना अपना सर्वश्रेष्ठ देते हैं, तो हमारा प्रदर्शन बेहतर होता है और सफलता निश्चित रूप से मिलती है।

मन पर नियंत्रण
उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्।
आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः॥

 मनुष्य को अपने द्वारा अपना उद्धार करना चाहिए, स्वयं को नीचे नहीं गिराना चाहिए। क्योंकि यह मन ही अपना सबसे बड़ा मित्र है और यह मन ही अपना सबसे बड़ा शत्रु भी है। जीवन में सफलता पाने के लिए हमें बाहरी मदद से ज़्यादा आत्म-निर्भरता और आत्म-नियंत्रण की आवश्यकता होती है। सफल व्यक्ति अपने मन को साधन बनाता है, शिकार नहीं।

भय और शोक से मुक्ति
अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे।
गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः॥

तुम उन चीज़ों के लिए शोक कर रहे हो जो शोक करने योग्य नहीं हैं, फिर भी तुम ज्ञान की बातें कर रहे हो। जो ज्ञानी होते हैं, वे न तो मरे हुए के लिए और न ही जीवित के लिए शोक करते हैं। अतीत की गलतियों और भविष्य की चिंताओं में उलझे बिना, हमें वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। ज्ञानी व्यक्ति चीजों की क्षणभंगुरता को समझकर शांत रहता है।

क्रोध, भ्रम और विनाश का चक्र

क्रोधात् भवति संमोहः संमोहात् स्मृतिविभ्रमः। 
स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात् प्रणश्यति॥

क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से स्मृति का नाश होता है। स्मृति नष्ट होने से बुद्धि का नाश होता है और बुद्धि नष्ट होने पर मनुष्य का पतन हो जाता है। सफलता के मार्ग पर भावनाओं, विशेषकर क्रोध पर नियंत्रण रखना अनिवार्य है। क्रोध में लिए गए निर्णय हमेशा असफलता की ओर ले जाते हैं।

 


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Content Editor

Prachi Sharma

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