Bhagavad Gita Shlok: पढ़ाई ही नहीं, जीवन में भी टॉप करेंगे बच्चे, अगर याद होंगे गीता के ये श्लोक
punjabkesari.in Friday, Aug 08, 2025 - 02:00 PM (IST)
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Sanskrit Shlok: भगवद् गीता को ज्ञान, धर्म, कर्म और जीवन का अमूल्य ग्रंथ माना जाता है। यह शास्त्र जीवन की कठिनाइयों में मार्गदर्शन करता है और मनुष्य को सही दिशा दिखाता है। अगर बच्चे गीता के कुछ महत्वपूर्ण संस्कृत श्लोक याद कर लें और उनके अर्थ को समझें, तो उनके जीवन में सफलता अपने आप कदम चूमेगी। आज जानेंगे गीता के कुछ ऐसे श्लोक प्रस्तुत कर रहे हैं, जो बच्चों के लिए अत्यंत उपयोगी और प्रेरणादायक हैं। ये श्लोक उनमें आत्मविश्वास, साहस, अनुशासन और समर्पण की भावना को जगाएंगे।

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥**
तेरा अधिकार केवल कर्म करने में है, फल की इच्छा में नहीं। इसलिए फल की चिंता मत कर, और न ही अकर्मण्यता में लिप्त हो। यह श्लोक बच्चों को सिखाता है कि मेहनत करो, पर परिणाम के पीछे परेशान मत हो। केवल अपने कर्म पर ध्यान दो। सफलता तब स्वतः आएगी।
योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय।
सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते॥**
हे अर्जुन! समभाव से कर्म करते रहो, सफलता या असफलता में समान भाव रखो। यही योग का सार है। यह श्लोक बच्चे को मानसिक संतुलन बनाए रखना सिखाता है। चाहे जीत हो या हार, हमें मन को स्थिर रखना चाहिए।

श्रद्धावान्ल्लभते ज्ञानं तत्पर: संयतेन्द्रिय:।
ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति॥
जो व्यक्ति श्रद्धा से परिपूर्ण, ज्ञान प्राप्ति के लिए उत्सुक और अपने इंद्रियों पर नियंत्रण रखने वाला होता है, वही सच्चा ज्ञान प्राप्त करता है। वह ज्ञान प्राप्त करके शीघ्र ही परम शांति को प्राप्त कर लेता है।
यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जन:।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥
जब कोई श्रेष्ठ व्यक्ति कोई कार्य करता है, तो अन्य लोग भी उसी प्रकार का आचरण करते हैं। लोग उसी उदाहरण का पालन करते हैं जिसे वे श्रेष्ठ मानते हैं। इसलिए अच्छे या श्रेष्ठ व्यक्तियों को चाहिए कि वे सदैव अच्छे कर्म करें क्योंकि उनका आचरण समाज के लिए मार्गदर्शक बनता है।

