Sankashti Chaturthi 2025: संकष्टी चतुर्थी पर इस स्तुति के पाठ से पाएं सुख-शांति, सब दुख होंगे दूर
punjabkesari.in Sunday, Mar 16, 2025 - 10:17 AM (IST)

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Sankashti Chaturthi 2025: संकष्टी चतुर्थी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है। संकष्टी चतुर्थी का महत्व विशेष रूप से उनके भक्तों के लिए बहुत अधिक होता है, जो किसी न किसी प्रकार की मुश्किलों, परेशानियों और संकटों से जूझ रहे होते हैं। इस दिन गणेश जी की उपासना से उन सभी बाधाओं और समस्याओं से छुटकारा पाने की विशेष मान्यता है। गणेश जी के भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और विशेष पूजा करते हैं, जिससे जीवन की हर कठिनाई दूर होती है। संकष्टी चतुर्थी की पूजा बिना सही विधि और मंत्रों के अधूरी मानी जाती है। विशेष रूप से एक विशेष स्तुति है, जिसे संकष्टी चतुर्थी के दिन पढ़ना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यह स्तुति भगवान गणेश की कृपा को प्राप्त करने का एक प्रभावी माध्यम मानी जाती है, जिससे सभी बाधाएं दूर होती हैं और भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है।
गणेश स्तुति -
मुदा करात्तमोदकं सदा विमुक्तिसाधकं कलाधरावतंसकं विलासिलोकरञ्जकम्।
अनायकैकनायकं विनाशितेभदैत्यकं नताशुभाशुनाशकं नमामि तं विनायकम् ।।
नतेतरातिभीकरं नवोदितार्कभास्वरं नमत्सुरारिनिर्जकं नताधिकापदुद्धरम् ।
सुरेश्वरमं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरं महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम् ।।
समस्तलोकशंकरं निरस्तदैत्यकुञ्जरं दरेतरोदरं वरं वरेभवक्त्रमक्षरम् ।
कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करं नमस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम् ।।
अकिंचनार्तिमार्जनं चिरंतनोक्तिभाजनं पुरारिपूर्वनन्दनं सुरारिगर्वचर्वणम् ।
प्रपञ्चनाशभीषणं धनंजयादिभूषणं कपोलदानवारणं भजे पुराणवारणम् ।।
नितान्तकान्तदन्तकान्तिमन्तकान्तकात्मजमचिन्त्यरुपमन्तहीनमन्तरायकृन्तनम्।
हृदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनां तमेकदन्तमेव तं विचिन्तयामि संततम् ।। ५।।
महागणेश पञ्चरत्नमादरेण योऽन्वहं प्रगायति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम् ।
अरोगतामदोषतां सुसाहितीं सुपुत्रतां समाहितायुरष्टभूतिमभ्युपैति सोऽचिरात् ।।
मंगलमुर्ती मोरया
भगवान श्री गणेश स्तुति मंत्र -
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय, लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय!
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय, गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते!!
भक्तार्तिनाशनपराय गनेशाश्वराय, सर्वेश्वराय शुभदाय सुरेश्वराय!
विद्याधराय विकटाय च वामनाय , भक्त प्रसन्नवरदाय नमो नमस्ते!!
नमस्ते ब्रह्मरूपाय विष्णुरूपाय ते नम:!
नमस्ते रुद्राय्रुपाय करिरुपाय ते नम:!!
विश्वरूपस्वरूपाय नमस्ते ब्रह्मचारणे!
भक्तप्रियाय देवाय नमस्तुभ्यं विनायक!!
लम्बोदर नमस्तुभ्यं सततं मोदकप्रिय!
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा!!
त्वां विघ्नशत्रुदलनेति च सुन्दरेति ,
भक्तप्रियेति सुखदेति फलप्रदेति!
विद्याप्रत्यघहरेति च ये स्तुवन्ति,
तेभ्यो गणेश वरदो भव नित्यमेव!!
गणेशपूजने कर्म यन्न्यूनमधिकं कृतम !
तेन सर्वेण सर्वात्मा प्रसन्नोSस्तु सदा मम !!
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