Sangmeshwar Mahadev Mandir: हर साल लगभग 3 माह तक गायब हो जाता है ये मंदिर
punjabkesari.in Thursday, Sep 30, 2021 - 12:00 PM (IST)

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Sangmeshwar Mahadev Mandir: राजस्थान से 70 कि. मी. दूर माही अनास नदी के संगम स्थल पर महादेव का चमत्कारिक मंदिर है। ये मंदिर लगभग 200 साल पुराना है। साल में 3 से 4 महीने ये मंदिर गायब रहता है। दरअसल साल के कुछ महीने इस मंदिर के दर्शन न होने की वजह इसका पानी में डूब जाना है। हर साल ये स्थल 4 फीट तक पानी में डूब जाता है, लेकिन भक्त इस मंदिर के दर्शन करने नाव पर पहुंच जाते हैं। हैरान करने वाली तो ये है कि इतना समय पानी में रहने के बावजूद भी ये मंदिर में कोई नुक्सान नहीं होता। कोई इसे चमत्कार कहता है तो कोई ईश्वरीय शक्ति।
तो आईए जानें, इस मंदिर की और भी खास बातें
संगमेश्वर महादेव नाम से प्रसिद्ध ये मंदिर राजस्थान में बांसवाड़ा से 70 कि मी दूर भैंसाऊ गांव में माही और अनास नदी के संगमस्थल पर स्थित है।
हर साल यह मंदिर जुलाई-अगस्त में डूब जाता है लेकिन इस साल मानसून में देरी की वजह से यह स्थिति सितंबर में बनी। कडाना नदी में पानी की लगातार आवक बनी रहने से अब यह स्थिति तकरीबन 3 माह रहेगी।
ईंट-पत्थर और चूने से निर्मित ये मंदिर दो सौ साल पुराना है।
सूर्यमुखी शिव मंदिर पिछले 49 साल से पानी में डूबा रहने के बावजूद न सिर्फ मजबूती से खड़ा है बल्कि साल दर साल निखरता जा रहा है।
गर्मी पड़ने के साथ जब बांध का पानी उतरने लगता है, तब पर्यटक और श्रद्धालु पैदल जाकर भगवान शिव के दर्शन करते हैं।
नदियों के संगम स्थल पर स्थित होने के कारण मंदिर का नाम संगमेश्वर महादेव मंदिर पड़ गया।
इस मंदिर का निर्माण करीब 200 साल पहले बांसवाड़ा जिले अंतर्गत गढ़ी के राव हिम्मतसिंह (परमार राजवंश) ने कराया था।
तब यह मंदिर पानी से घिरा हुआ नहीं था। 1970 में गुजरात ने अपनी सीमा में कड़ाणा बांध का निर्माण किया और यह मंदिर डूब क्षेत्र में आ गया। दक्षिण राजस्थान की बड़ी नदियों में शुमार माही और अनास नदी का पानी कड़ाणा बांध में जमा होता है।
इसके चलते साल में 3 से 4 महीने यह मंदिर जलमग्न ही रहता है। इसके बावजूद इसकी मजबूती पर कोई फर्क नहीं पड़ा।
मंदिर में पूजा-अर्चना का काम संगम तट पर रहने वाले नाव संचालकों के ही हाथ है और वह लोगों को नाव के जरिये मंदिर में दर्शन कराने ले जाते हैं।
कड़ाणा बांध का जलस्तर 400 फीट से कम होने पर मंदिर दर्शन के लिए खुल जाता है।
मंदिर के बाहर साधुओं की समाधियां बनी हुई है। मंदिर ईंट और पत्थरों से बना है।
क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि संगम क्षेत्र में पहले होली के पहले आमल्यी ग्यारस पर हर वर्ष मेला लगता था। इस मेले में शामिल होने के लिए राजस्थान के अलावा मध्यप्रदेश एवं गुजरात से भक्त आते थे। संगम स्थल के डूब जाने के कारण मेला भी बंद हो गया।
संगमेश्वर महादेव मंदिर अब तीन माह तक पानी में डूबा रहेगा। गढ़ी उपखंड के इटाउवा ग्राम पंचायत के भैसाऊ गांव के पास माही और अनास नदी के संगम स्थल पर बना यह मंदिर 4 फीट पानी में डूबा है। मंदिर में पूजा-अर्चना और दर्शन के लिए श्रद्धालु नाव में बैठकर जा रहे हैं।