Samrat Ashok Story: मां के आंसुओं ने बदल दिया सम्राट अशोक का जीवन, कैसे टूटा गर्व का घमंड ?
punjabkesari.in Wednesday, Sep 03, 2025 - 07:00 AM (IST)
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Samrat Ashok Story: प्रसंग उस समय का है, जब सम्राट अशोक ने कलिंग विजय कर ली थी। उस युद्ध में लाखों लोग मारे गए थे। उस दिन मानवता कलंकित हुई थी, पर सम्राट अशोक अपने विजयी गर्व में चूर हो रहे थे। विजय उत्सव मनाया जा रहा था।
अशोक अपनी माता को विजय के अहंकार में बता रहे थे, “यह कलिंग नरेश मेरी अधीनता स्वीकार नहीं कर रहा था। मैंने उसे ही नहीं पूरे कलिंग को राख के ढेर में तबदील कर दिया।”

सम्राट अशोक सोच रहे थे कि माता उनकी इस विजय पर गर्व करेंगी, खुश होंगी। लेकिन सम्राट अशोक की अहंकारपूर्ण बातें सुनकर माता दुखी हो रही थीं। उनकी आंखों से झर-झर आंसू बहने लगे। वह इस युद्ध और उसके परिणाम से अत्यंत दुखी थीं। माता को दुखी देखकर अशोक को आश्चर्य हुआ।
उसने पूछा, “माता! आप रो रही हैं? ऐसा क्यों? आपको तो अपने वीर और विजयी पुत्र पर गर्व होना चाहिए। प्रसन्न होना चाहिए कि आपके पुत्र ने कलिंग पर विजय प्राप्त कर ली है।”
महारानी ने उत्तर में जो शब्द कहे, वे बहुत मार्मिक और झकझोरने वाले थे।

महारानी ने अशोक से कहा, “पुत्र ! तेरा नाम अशोक है, यानी दुनिया को शोकमुक्त करने वाला, लेकिन तू तो संसार में शोक का ही प्रसार कर रहा है। तनिक विचार कर कि जिन लाखों नारियों के पुत्र और पति मृत्यु को प्राप्त हुए हैं, उनमें यदि एक तू स्वयं भी होता तो तेरी माता को कितनी पीड़ा होती ?”
महारानी इससे अधिक कुछ नहीं कह पाईं लेकिन इतने से शब्द में करुणा का जो सागर लहरा रहा था, उसमें भारतवर्ष का वह सम्राट उस दिन डूब गया। माता के दर्द और करुणा भरे शब्दों ने सम्राट अशोक की सोच और जीवन की दिशा को ही बदल दिया।

