शास्त्र कहते हैं, पांच हजार वर्ष के तप का फल देता है ये व्रत
punjabkesari.in Tuesday, Dec 12, 2017 - 12:45 PM (IST)
पोष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी सफला एकादशी कहलाती है, इस बार यह एकादशी 13 दिसम्बर को है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है इस एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को सभी कार्यों में सफलता अवश्य मिलती है तथा जीवन में उत्तम फल की प्राप्ति होती है। यह व्रत अति मंगलकारी और पुण्यदायी होता है इसके करने से मनुष्य इस संसार के सभी सुखों को भोगता हुआ अंत में विष्णु लोक को प्राप्त करता है।
व्रत का विधान: व्रत करने के लिए पहले दशमी तिथि को मन में संकल्प करके शुद्घ एवं सात्विक आहार करना चाहिए तथा मन से भोग विलास एवं काम की भावना का त्याग करके मन में नारायण की छवि बसाने का प्रयास करना चाहिए। एकादशी के दिन प्रात: सूर्य निकलने से पूर्व उठकर स्नानादि क्रियाओं से निवृत होकर भगवान श्री नारायण का लक्ष्मी जी सहित फल, फूल, गंगाजल, धूप दीप तथा नेवैद्य आदि से विधिवत पूजन करना चाहिए। दिन में एक समय फलाहार करना चाहिए। रात्रि को मंदिर में भगवान श्री विष्णु जी के सामने दीप दान करना चाहिए तथा अपना समय प्रभु नाम संकीर्तन में बिताना चाहिए। अगले दिन यानि द्वादशी को ब्राह्मणों को यथाशक्ति दान दक्षिणा देने के पश्चात ही व्रत का पारण करना चाहिए। इस व्रत में किसी भी तरह के गर्म वस्त्रों का दान करना बड़ा उत्तम कर्म है।
क्या है पुण्यफल- इस एकादशी के देवता श्री नारायण हैं इसलिए इस दिन भगवान नारायण जी की पूजा की जाती है। नागों में शेषनाग, पक्षियों में गरुड और सब ग्रहों में चन्द्रमा, यज्ञों में अश्वमेध तथा देवताओं में जैसे भगवान विष्णु श्रेष्ठ हैं वैसे ही सभी व्रतों में एकादशी व्रत अति उत्तम, श्रेष्ठ एवं पुण्यकारी है। शास्त्रों के अनुसार पांच हजार वर्ष तक तप करने से जिस फल की प्राप्ति जीव को होती है वही फल सफला एकादशी का व्रत करने से मिलता है।
वीना जोशी
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