बीमारी की हालत में बीबी अम्तुस्सलाम ने रखी सेवा की ये मिसाल

punjabkesari.in Tuesday, Feb 25, 2020 - 11:47 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
साबरमती आश्रम के नियम बड़े ही सख्त थे। कठोर अनुशासन में खुद को तपाने और मजबूत बनाने की यह गांधी जी की प्रयोगशाला अपने नियमों के लिए मशहूर थी। बीबी अम्तुस्सलाम, जिन्हें महात्मा गांधी ने अपनी बेटी कहकर बुलाया है, साबरमती आश्रम में रहना चाहती थीं। उनकी दिली इच्छा थी कि वह देश सेवा के काम आ सकें मगर आश्रम के नियमानुसार सभी को अपने स्वास्थ्य का प्रमाणपत्र देना होता था।
PunjabKesari
अम्तुस्सलाम को बचपन से ही फेफड़ों की बीमारी थी। इस वजह से उनके लिए यहां रहना मुश्किल था। जब वह अपने परिचित डॉक्टर के पास प्रमाणपत्र बनवाने पहुंचीं तो डॉक्टर ने कहा, ''आप कहें तो आपके प्रमाण पत्र पर लिख देता हूं कि आप स्वस्थ हैं ताकि आपको आश्रम में प्रवेश मिल जाए। अम्तुस्सलाम ने डॉक्टर से कहा, ''नहीं, ऐसा मत कीजिए। आप वही लिखिए जो सही है।
Follow us on Twitter
डॉक्टर ने लिख दिया कि यह बेहद बीमार हैं और इनके फेफड़े इस लायक नहीं हैं कि इनसे कोई काम हो सके। अम्तुस्सलाम ने उसी प्रमाणपत्र को आश्रम में भिजवा दिया। आश्रम से जवाब आया कि आपको आश्रम में रहने की तो इजाजत नहीं है, मगर आप कुछ वक्त के लिए आश्रम आकर यह देख सकती हैं कि यह कैसे चलता है और यहां क्या-क्या होता है।
Follow us on Instagram
अम्तुस्सलाम इतने भर से ही खुश हो गई। आश्रम देखने की इस छोटी अवधि में वह इस कदर सेवा में जुटी रहीं कि महात्मा गांधी ने उन्हें हमेशा साबरमती आश्रम में रहने की इजाजत दे दी। बीमारी की हालत में भी उन्होंने सेवा की मिसाल पेश की। जब हम सब बीमारियों का बहाना बनाकर अपने कामों से जी चुराते हैं, तब हमें अम्तुस्सलाम जैसे चरित्र बताते हैं कि सख्त बीमारी को झेलते हुए भी देश के लिए कैसे खड़ा रहा जाता है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Lata

Recommended News

Related News