Roshandan: इस भाग में बना रोशनदान शिव जी के तीसरे नेत्र की तरह काम करता है

punjabkesari.in Thursday, Nov 03, 2022 - 09:40 AM (IST)

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Roshandan: रोशनदान दरवाजे और छत के बीच में बनाया जाता है। कुछ दशक पूर्व तक बनने वाले लगभग सभी घरों में मुख्यद्वार एवं घर के प्रत्येक कमरों में दरवाजों के ऊपर रोशनदान बनाये जाते थे। रोशनदान का मुख्य उद्देश्य कमरे का दरवाजा एवं खिड़की बन्द होने के बाद भी कमरें में रोशनी और हवा का आना था। आजकल बनने वाले घरों में और विशेषकर मल्टी स्टोरी बिल्डिंग के फ्लैट में रोशनदान नहीं बनाए जाते हैं। 

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इसके पीछे दो मुख्य कारण है एक- कई शहरों में टाउन प्लानिंग के अंतर्गत निश्चित ऊंचाई से अधिक ऊंचाई की बिल्डिंग नहीं बनाई जा सकती। ऐसे में मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में फ्लोर की ऊंचाई कम रखकर एक फ्लोर अधिक बनाया जा सकता है। फ्लोर की ऊंचाई कम होने से रोशनदान बनाने पर प्रायवेसी का खतरा रहता है। ऊंचाई कम होने से फ्लोर की लागत भी कम आती है। दूसरा आजकल ए सी का प्रयोग ज्यादा होता है। रोशनदान बनाने से ए सी बिजली की खपत ज्यादा करता है।

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घर के अन्दर रोशनी के साथ-साथ हवा का बहाव सुचारू रूप से हो इसके लिए रोशनदान बनाना अति आवश्यक है क्योंकि प्रायवेसी का ध्यान रखते हुए लोग सामान्यतः खिड़कियां और पर्दे लगाकर बन्द रखते हैं। ठंड और बारिश के मौसम में जब खिड़कियां और दरवाजे बन्द रहते हैं, तब रोशनदान न होने से कमरों में किसी प्रकार का क्रॉस वेंटिलेशन नहीं हो पाता। जिस कारण वहां रहने वाले लोगों को स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं होने लगती हैं।

अच्छे स्वास्थ्य के लिए मुख्यद्वार के साथ-साथ घर के प्रत्येक कमरे, टॉयलेट-बाथरूम, किचन, स्टोर इत्यादि में रोशनदान जरूर बनाना चाहिए और मुख्यद्वार के ऊपर बना रोशनदान तो शिवजी के तीसरे नेत्र की तरह काम करता है।   

वास्तु गुरू कुलदीप सलूजा
thenebula2001@gmail.com

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Content Writer

Niyati Bhandari

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