Rishi Ashtavakra Story: जब अष्टावक्र की ये बात सुनकर राजा जनक ने बनाया उन्हें अपना गुरु...
punjabkesari.in Tuesday, Dec 26, 2023 - 09:06 AM (IST)
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Rishi Ashtavakra Story: बालक अष्टावक्र ने मित्रों के साथ खेलकर घर लौटने पर अपनी माता से पूछा, “हे माता, मेरे पिता जी कहां हैं ?”
वह बोलीं, “पुत्र, तुम्हारे पिता राजा जनक की सभा में विद्वानों के साथ शास्त्रार्थ करने गए थे परन्तु अभी तक लौटे नहीं हैं। मैं भी चिंता से व्याकुल हूं।”
यह सुनकर अष्टावक्र ने कहा, “हे माता, चिंता मत करो, मैं कल सुबह ही राजसभा में जाकर पता लगाऊंगा।”
माता बोली, “तुम बालक हो, राजसभा में तुम्हारा प्रवेश आसान नहीं है। वहां तुम्हारा उपहास भी हो सकता है क्योंकि तुम्हारा शरीर आठ जगह से टेढ़ा-मेढ़ा है।”
अष्टावक्र बोले, “मां डरो मत, मैं अपने पिता के साथ जल्द वापस आऊंगा।”
यह कह कर अष्टावक्र ने राजसभा के लिए प्रस्थान किया। उनके टेढ़े शरीर को देखकर सभा में उपस्थित विद्वान ठहाके लगाकर हंसने लगे कि यह बालक भी हमारे साथ शास्त्रार्थ करेगा ?
उन विद्वानों की हरकत देखकर अष्टावक्र भी हंसने लगे।
उन्हें हंसता देखकर सभा में उपस्थित सभी विद्वान आश्चर्य में पड़ गए।
राजा ने अष्टावक्र से हंसने का कारण पूछा। अष्टावक्र ने कहा, “हे राजन, मैंने सुना है कि आपकी राजसभा विद्वानों के द्वारा सुशोभित है परन्तु यह तो झूठे ज्ञान के घमंड में चूर हैं। मैं इन विद्वानों को देखकर हंस रहा हूं।”
वह फिर बोले, “हे राजन, निश्चय ही मैं पूछता हूं कि हड्डी, रक्त, मांस और चमड़ी से लिपटे हुए शरीर में देखने लायक क्या है ? आप बताएं क्या टेढ़े शरीर में आत्मा भी टेढ़ी होती है ? यदि नदी टेढ़ी है तो क्या उसका पानी भी टेढ़ा होता है?”
राजा जनक अष्टावक्र के वचनों से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने बालक अष्टावक्र को अपना गुरु मानते हुए उनसे तत्वज्ञान प्राप्त किया।