Kundli Tv- जब अपने ही पुत्र की पूजा न करना पड़ा भोलेनाथ को मंहगा

punjabkesari.in Wednesday, Dec 19, 2018 - 03:14 PM (IST)

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इतना तो सब जानते हैं कि भगवान शिव ने ही अपने पुत्र को सर्वप्रथम देवता होने के आशीष दिया था। जिस कारण आज तक हर कोई कोई भी शुभ काम करने से पहले हमेशा इन्हें ही याद करता है। इतना ही नहीं बल्कि प्राचीन समय देवी-देवता तक हर धार्मिक काम को करने से पहले सबसे पहले गणपति का ही आह्वान करते थे और कोई ऐसा नहीं करता था तो उसके कामों में विघ्न ज़रूर डालते हैं।
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आज हम आपको इसी से संबंधित कुछ बात बताने जा रहे हैं जिसे जानकर आप शायद हैरान हो जाएंगे कि गणपति को न पूजने वाले हर किसी को उसके अंजाम भुगतना पड़ता है। जी हां, अपने पुत्र को सर्व प्रथम की दर्जा देने वाले भोलेनाथ को उनकी पूजा न करना भारी पड़ गया था। आप शायद इस बात पर यकीन नहीं करेंगे। लेकिन शास्त्रों में इसके बारे में एक पौराणिक कथा वर्णित है। शास्त्रों में त्रिपुरासुर के वध को लेकर कुछ पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। जिसमें से एक में बताया गया है कि भोलेनाथ को पुत्र गणेश की पूजा न करना भारसी पड़ा था।
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यहां जानें वो पौराणिक कथा-
एक पौराणिक कथा के अनुसार जब लाख कोशिशों के बाद भी भगवान शंकर त्रिपुरासुर को मारने में असफल हुए तो वे सोच-विचार में डूब गया कि आख़िर क्यों वो उसका वध करने में बार-बार असफल हो रहे हैं, तब उन्हें अचानक ख्याल आया कि त्रिपुरासुर का वध करने में उनके रास्ते में विघ्न असल में उनके पुत्र गणेश की वजह से है। उन्हें ये समझ आ गया कि उन्होंने अपने कार्य में सफलता पाने के लिए अपने पुत्र गणेश का पूजन नहीं किया जिस कारण उन्हें असफलता मिल रही है। इसके बाद शिवजी ने गणेश जी की पूजा की और उन्हें लड्डुओं का भोग लगवाते हुए अपनी भूल मानी। कहा जाता है कि इसके बाद जब भगवान शंकर वापिस त्रिपुरासुर का वध करने गए तो उन्होंने उसे एक ही बार में हरा दिया और उसका वध कर दिया।
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Jyoti

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