क्यों गुरुवार को लगाया जाता है गुड़ और चना दाल का भोग ?

punjabkesari.in Thursday, Jun 06, 2019 - 11:04 AM (IST)

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हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को जगत के पालन हार कहा जाता है। गुरुवार के दिन इनकी पूजा का विधान होता है। शास्त्रों के अनुसार गुरुवार के दिन इनका व्रत करने से और पूरे विधि-विधान के साथ इनकी पूजा करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है। कहते हैं कि जो लोग इस दिन व्रत का पालन करते हैं उन्हें पीले वस्त्र और पीली रंग से बनी वस्तुएं ही ग्रहण करनी होती है और इसके साथ ही पीले रंग की किसी चीज़ का दान करना चाहिए। इसके साथ ही भगवान को भोग लगाने के लिए बहुत सी चीज़ों का इस्तेमाल कर सकते हैं। किंतु भगवान को चने या चने की दाल और गुड़ का भोग लगाया जाता है। पौराणिक ग्रंथों में भी इस बात का जिक्र किया गया है तो आइए जानते हैं इसके पीछे कथा के बार में। 
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भगवान विष्णु के परमभक्त देवर्षि नारद उनसे आत्मा का ज्ञान लेना चाहते थे लेकिन वे जब भी श्रीहरि से इसके बारे में अपनी इच्छा प्रकट करते तो भगवान कहते कि पहले उस ज्ञान के योग्य बनना होगा। नारद जी ने स्वयं को उस ज्ञान के योग्य बनाने के लिए कठोर तप किया लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा। इसके पश्चात वे पृथ्वी लोक के भ्रमण पर चले गए। इस दौरान उन्होंने एक जगह पर देखा कि भगवान श्रीहरि एक मंदिर में बैठे हैं और वृद्ध महिला उनको कुछ खिला रही है। 
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भगवान विष्णु के वहां से प्रस्थान करने के बाद नारद मुनि वहां पहुंचे और वृद्ध महिला से जानना चाहा कि वह भगवान को क्या खिला रही थीं। उस वृद्ध महिला ने बताया कि उसने भगवान विष्णु को गुड़ और चने प्रसाद स्वरुप खिलाएं। ऐसा कहा जाता है कि नारद जी वहां पर व्रत करने लगे और लोगों में प्रसाद स्वरुप गुड़-चना बांटने लगे। कुछ समय पश्चात भगवान विष्णु वहां प्रकट हुए और नारद मुनि से कहा कि सच्चे मन से जो भक्त भक्ति करता है, वह ज्ञान का अधिकारी होता है।
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भगवान ने उस वृद्ध महिला को वैकुण्ठ जाने का आशीर्वाद दिया और कहा कि जो भक्त उनको गुड़ और चना का भोग लगाएगा, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। 


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