Bali: सुन्दर समुद्र तट और अनोखी हिन्दू संस्कृति के दर्शन

punjabkesari.in Thursday, Jan 09, 2025 - 09:36 AM (IST)

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Bali: अगर आप ऐसी जगह पर घूमने जाने की प्लानिंग कर रहे हैं जहां प्रकृति के मनमोहक नजारों के साथ सांस्कृतिक आकर्षण भी हों तो इंडोनेशिया के बाली से खूबसूरत जगह कोई और नहीं हो सकती। बाली प्रकृति की गोद में समाया ऐसा द्वीप है जहां का शांत, हरा-भरा और प्रदूषणमुक्त वातावरण आपको हर बार अपनी ओर खींचेगा। अनोखी हिन्दू संस्कृति, सफेद रेत से सजे समुद्री तटों और नाइट लाइफ के लिए इसे दुनिया भर में जाना जाता है। दिल्ली से बाली की हवाई दूरी 6,800 किलोमीटर है और प्लाइट से पहुंचने में करीब 8 घंटे लग जाते हैं। सबसे अहम बात है कि बाली जाने के लिए आपको वीजा लगवाने के लिए किसी आफिस या एम्बैसी में भी जाने की जरूरत नहीं। ‘वीजा ऑन अराइवल’ की सुविधा भारतीयों के लिए पूरी तरह से मुफ्त है। बस टिकट लीजिए और निकल जाइए इस खूबसूरत द्वीप की सैर पर।

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बाली के लिए सीधी प्लाइट नहीं है इसलिए सिंगापुर या कुआलालम्पुर होते हुए वहां जाना पड़ता है। बाली की 85 प्रतिशत आबादी हिन्दू है और यह भारतीयों के लिए संस्कृति के लिहाज से भी खास द्वीप है। खाने-पीने की भी कोई चिंता नहीं। अनेकों रेस्तरां हैं जहां स्वादिष्ट भारतीय खाना आसानी से मिलता है। बात बेशक परिवार के साथ वक्त बिताने की हो या फिर बच्चों के साथ मस्ती करने की लेकिन बाली से ऊपर कुछ भी नहीं।

बाली के आस-पास कुछ दूरी पर बने अलग-अलग बीच पर पानी की आवाज आपको इस शांत माहौल में अद्भुत आनंद का अनुभव कराएगी। रात को सोने के बाद सुबह समुद्र की लहरों की आवाज से आपकी नींद खुलती है। बाली में समुद्र किनारे कई होटल हैं और यहां जंगलों में टूरिस्ट के ठहरने के लिए अद्भुत रिजार्ट भी बने हैं। सबसे खास बात है कि बाली में 80 प्रतिशत से अधिक हिन्दू आबादी है और भारत व बाली की संस्कृति भी कुछ हद तक मिलती है।

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भारत और इंडोनेशिया के रुपए में सिर्फ इतना फर्क है कि भारतीय पर्यटक यहां के रुपए से खुद को रईस महसूस करते हैं। मंत्रमुग्ध करती है उलुन दानु मंदिर की सुंदरता अपने टूर में एक दिन जब हम दोपहर को बाली के उलुन दानू टैंपल के विशाल परिसर तक पैदल चल कर गए तो यह सम्भव ही न था कि वहां के खूबसूरत दृश्य देखकर मंत्रमुग्ध न हों- जहां कुछ दूरी पर बेदुगुल पहाड़ों के पास में सुंदर बरटेन झील है क्योंकि इस झील के बिल्कुल किनारे स्थित मंदिर दूर से देखने पर इसकी सतह पर तैरता हुआ प्रतीत होता है।  वैसे आप इसे एक तैरता हुआ मंदिर कह सकते हैं क्योंकि जब झील के पानी का स्तर बढ़ता है तो यह निश्चित रूप से तैरता हुआ प्रतीत होता है।

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हर घर और इमारत के प्रवेश द्वार पर स्थापित हैं गणपति
लगभग 80 प्रतिशत हिन्दू आबादी वाले इस द्वीप पर आकर्षक कहानियां लाजिमी हैं। बाली के लगभग हर घर और रेस्तरां के बाहर आप केले की पत्ती से बनी प्लेट के एक दोना में देवताओं और तत्वों के लिए फूल और एक चम्मच चावल रखे पाएंगे। भगवान गणेश भी बाली के घरों और महत्वपूर्ण इमारतों के प्रवेश द्वारों पर स्थापित किए गए हैं। शहर के शानदार बाजारों में बिकती देवी-देवताओं की छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी मूर्तियों को देखकर यह स्पष्ट है कि बालीवासियों के जीवन में धर्म एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लगभग हर घर में एक मंदिर है और नकारात्मकता को दूर रखते हुए द्वारपाल बाहर पहरा देते हैं। बाली का उलूवाटू मंदिर भी देखने लायक है।

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करीब 400 फुट की है विश्व की दूसरी सबसे ऊंची गरुड़ विष्णु मूर्ति
गरुड़ विष्णु केनकाना कल्चरल पार्क में स्थापित विश्व की सबसे दूसरी ऊंची करीब 400 फुट की गरुड़ विष्णु मूर्ति गगन को चूमती प्रतीत होती है। इस भव्य मूर्ति को बनाने में करीब 25 वर्ष लग गए। इस मूर्ति के लिए पहले गरुड़ बनाए गए जिन पर भगवान विष्णु को विराजित किया गया।

बाली आने वाले पर्यटकों के लिए यह मूर्ति विशेष आकर्षण का केन्द्र है। यद्यपि यहां तक चलकर जाना एक विकल्प है लेकिन प्रतिमा तक जाने के लिए गोल्फ कार्ट की सेवा भी ली जा सकती है जो आपको विशाल पहाड़ी शिलाखंडों और एक विशाल गणेश प्रतिमा से होते हुए वहां पहुंचाती है।  

विभिन्न प्रकार के बीचवियर और आकर्षक स्वदेशी स्मृति चिन्ह बेचने वाले एक जीवंत बाजार से गुजरते हुए आप पेरलिडुंगन पुरा तनह लोट पहुंच सकते हैं। यह एक सुंदर, विचित्र पुराना मंदिर है जो मजबूत लहरों के निरंतर हमले का सामना करते हुए एक बड़ी अपतटीय चट्टान पर खड़ा है। ढलते हुए सूरज के प्रकाश में नारंगी हुए पानी में इसकी छाया-आकृति एक लुभावना दृश्य प्रदान करती है।

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केचक नृत्य देखे बिना पूरा नहीं होता टूर
बाली में किसी भी पर्यटक का अनुभव केचक नृत्य देखे बिना पूरा नहीं होता है। यह नृत्य रूप महाकाव्य रामायण पर आधारित है। जैसे ही बंदर की चाक चाक चाक’ हवा में गूंजी 100 से अधिक पुरुषों का ‘गायन’ मंच पर प्रकट होता है।  वे प्रदर्शन मंच पर चारों ओर विचरण करते हुए चौकड़ी मारकर बैठते हैं। बाली नृत्य शैली में सीता हरण के आसपास के नाटक सामने आते हैं। और जल्द ही हनुमान के नेतृत्व में वानर, राम को लड़ने और दुष्ट रावण को हराने में मदद करते हैं।   

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Content Writer

Niyati Bhandari

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