Religious Concept: ऐसे लोगों की गिनती किसी काम की नहीं

punjabkesari.in Sunday, Jun 13, 2021 - 12:27 PM (IST)

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एक बार अहंकारी तैमूर के सामने बहुत सारे गुलामों को एक साथ पकड़ कर लाया गया, गलती से उन्हीं में से एक तुर्किस्तान के महान कवि अहमदी भी थे। जब अहमदी को तैमूर के सामने पेश किया गया तो उसने उन गुलामों की हंसी उड़ाई और दो गुलामों की ओर इशारा किया।

अपनी घमंड भरी आंखों से उन दो गुलामों की ओर इशारा करते हुए अहमदी से पूछा, ‘‘मैंने सुना है कि कवि बड़े पारखी होते हैं। क्या तुम बता सकते हो कि इन गुलामों की क्या कीमत हो सकती है?’’ अहमदी ने कहा, ‘‘कम से कम 5000 अशर्फियां, इससे कम कीमत का यहां कोई भी गुलाम नहीं है।’’

 फिर तैमूर ने बड़े अहंकार के साथ पूछा, ‘‘तुम्हारे हिसाब से मेरी कीमत क्या होनी चाहिए।’’ 

तब अहमदी ने कहा, ‘‘केवल 25 अशर्फियां।’’ 

जैसे ही यह तैमूर ने सुना तो उसे क्रोध आ गया और वह बड़े तेज स्वर में चिल्लाकर बोला, ‘‘बादशाह की इतने में तो सदरी भी न बन पाएगी। तेरी इतनी हि मत कैसे हुई यह सब बोलने की।’’

अहमदी ने बिना किसी भय के साथ उत्तर दिया, ‘‘आप कह रहे थे कि कवि बड़े पारखी होते हैं, तो सच कह दिया मैंने। आप इतना क्रोधित क्यों हो गए। आपको एक और बात बता दूं यह जो कीमत मैंने आपको बताई है, वह आपकी सदरी की ही है। दुनिया वालों की नजरों में जिस इंसान के अंदर पीड़ितों के लिए कोई भी दया भाव नहीं होता उसकी कोई कीमत नहीं होती। आपसे अच्छे तो ये गुलाम ही हैं जो कम से कम किसी के काम तो आते हैं।’’ 

अहमदी के ऐसे वाक्य से तैमूर का घमंड चूर-चूर हो गया।


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Content Writer

Jyoti

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