Kundli Tv- जितनी चादर है उतने ही पैर फैलाओ

punjabkesari.in Thursday, Sep 27, 2018 - 02:05 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (देखें Video)
हर इंसान के जीवन में एेसी कई परिस्थितियां आती हैं, जिनका सामना करने से वह बहुत घबराता है। जिसके चलते वह बहुत सी समस्याओं के साथ उलझ जाता है। कहा जाता है कि इन उलझनों को सुलझाने में सबसे बड़ा हाथ, व्यक्ति की अांतिरक शक्ति का होता है। लेकिन फिर भी कई बार इंसान अपनी बहुत सी प्रॉब्लम्स को सुलझा नहीं पाता। इसका कारण उसके अंदर की कुछ कमियां होती हैं क्योंकि जिन समस्याओं का हल इंसान बाहर ढूंढने में लगा रहता है, असल में उसकी सभी परेशानियों का हल उसके भीतर यानि उसके अंदर ही छिपा होता है। बस हमें उन्हें समझने की ज़रूरत होती है। 
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आज हम बात करेंगे कि कैसे हम अपने अंदर की छिपी शक्तियों की पहचान कर अपनी मनचाही सफलता को हासिल कर सकते हैं।

अगर इंसान कोई भी इच्छा रखने से पहले अपनी क्षमता और परिस्थितियों को सही तरह से समझ लें तो उस इच्छा का पूरा होना ज्यादा मुश्किल नहीं होता। एक बार की गई कोशिश में सोच के मुताबिक न सही, लेकिन लगभग इतनी सफलता तो प्राप्त हो ही जाती है कि तसल्लीबख्श संतोष प्राप्त किया जा सके। परंतु अपनी इच्छा के साथ-साथ अपनी क्षमता और स्थिति का ठीक अंदाजा न करके बहुत बढ़ा-चढ़ा लक्ष्य रखा जाए तो उस स्थिति में सफलता हासिल कर पाना थोड़ा कठिन है। जिसके चलते स्वभाव में उदासी आना स्वाभाविक है। पर अगर अापके स्वभाव में आगा पीछा सोचना, परिस्थिति के अनुसार मन को ढालना हो तो इस उदासी से बचा जा सकता है और साधारण रीति से जो मिल सकता है उतने की ही आकांक्षा करके शान्तिपूर्वक जीवन यापन किया जा सकता है। हमारे कहने का भाव यह है कि अगर हम अपनी कमियों का पूरी तरह से निरीक्षण करके उनमें सुधार करने के लिए तैयार हो जाएं तो लाइफ की तीन चौथाई से भी ज्यादा समस्याओं का हल झटपट निकल सकता है। 
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सफलता के बड़े-बड़े सपनों को पूरा करने का सही मार्ग
यदि व्यक्ति सोच समझ कर कोई सुनिश्चित रास्ता अपनाएं और उस पथ पर पूरी स्थिरता के साथ उसे अपना कर्त्तव्य समझकर चलता रहे तो दिमाग शांत रहेगा और उसकी पूरी शक्तियां अपने लक्ष्य को पूरा करने में लगेंगी और मंजिल तेज़ी से पास आती जाएगी और जो सफलता मिलती चली जाएगी, उसे देखकर खुशी और संतोष भी मिलता जाएगा। इस प्रकार लक्ष्य की ओर अपने कदम एक व्यवस्थित गति के अनुसार  खुद बढ़ते चले जाएंगे।
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एक महान संत का एक कथन प्रचलित है कि मुझे नरक में भेज दो, मैं वहां भी अपने लिए स्वर्ग बना लूंगा। अब आप सोचेंगे कि इसका क्या मतलब हो सकता है। उनके कहने का भाव यह है कि अपनी निज की अंतः भूमि परिष्कृत कर लेने पर व्यक्ति में ऐसी सूझ-बूझ की, गुण-कर्म स्वभाव की उत्पत्ति हो जाती है जिससे वह बुरे लोगों को भी अपनी सज्जनता से प्रभावित करने और उनकी बुराइयों का अपने ऊपर असर न पड़ने देने की खास योग्यता सिद्ध हो सके। अगर ऐसी क्वालिटी कोई व्यक्ति अपने में पैदा कर ले, तो यही माना जाएगा कि उसने संसार को सुधार लिया।
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Jyoti

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