रामनवमी स्पैश्ल: धर्म की पुन: स्थापना करने हेतु श्रीराम ने लिया था मृत्यु लोक में जन्म
punjabkesari.in Thursday, Mar 22, 2018 - 12:32 PM (IST)

रामनवमी का पर्व चैत्र शुक्ल की नवमी को मनाया जाता है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम का जन्म हुआ था। शास्त्रों में लिखा गया है कि रावण के अत्याचारों को समाप्त करने तथा धर्म की पुन: स्थापना हेतु भगवान विष्णु ने मृत्यु लोक में श्री राम के रूप में चैत्र शुक्ल की नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में कौशल्या की कोख से, राजा दशरथ के घर में अवतार लिया था।
रामनवमी एक धार्मिक और पारंपरिक त्यौहार है, जो हिंदू धर्म के लोगों के द्वारा पूरे उत्साह के साथ हर वर्ष मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह त्योहार हर वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष को पड़ता है, इसलिए ही इसे चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी भी कहा जाता है, जो नौ दिन लंबे चैत्र-नवरात्रि के त्यौहार के साथ समाप्त होती हैं।
रामनवमी का इतिहास
राम नवमी का त्यौहार हर साल मार्च व अप्रैल महीने में मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते है राम नवमी का इतिहास क्या है? राम नवमी का त्यौहार पिछले कई हजारों वर्षों से क्यों मनाया जा रहा है। अगर नहीं, तो आईए आज हम आपको इतिहास के बारे में बताएं-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन रानियां कौशल्या, सुमित्रा व कैकेयी थी। परंतु बहुत समय तक कोई भी राजा दशरथ को संतान का सुख प्रदान न कर पाई। जिससे राजा दशरथ बहुत परेशान रहते थे। पुत्र प्राप्ति के लिए राजा दशरथ को ऋषि वशिष्ठ ने पुत्रकामेष्टि यज्ञ कराने को विचार दिया। इसके पश्चात राजा दशरथ ने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करावाया। यज्ञ समाप्ति के बाद महर्षि ने दशरथ की तीनों पत्नियों को एक-एक कटोरी खीर खाने को दी। खीर खाने के कुछ महीनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गई। ठीक 9 महीनों बाद राजा दशरथ की सबसे बड़ी रानी कोशल्या ने श्रीराम को जो भगवान विष्णु के 7वें अवतार थे। कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने जुड़वां बेटों लक्ष्मण और शत्रुधन को जन्म दिया।
भगवान राम ने अपने भक्तों को दुष्टों के प्रहार से बचाया था उन्होंने रावण सहित सभी राक्षसों का सर्वनाश करने के द्वारा पूरी धरती से अधर्म का नाश करके पृथ्वी पर धर्म को स्थापित किया। अयोध्या के निवासी अपने नए राजा से बहुत खुश रहते थे, इसलिए उन्होंने अपने राजा का जन्मदिन हर वर्ष राम नवमी के रुप में बहुत अधिक उत्साह और आनंद के साथ मनाना शुरु कर दिया, जो आज एक परंपरा है और धार्मिक रूप से पूरे भारत में हिंदू धर्म के लोगों के द्वारा मनाया जाता है।
राम नवमी त्यौहार का महत्व
यह त्योहार का उत्सव बुरी शक्तियों पर अच्छाई की विजय को और अधर्म के बाद धर्म की स्थापना को प्रदर्शित करता है। राम नवमी का त्यौहार प्रातः काल में हिंदू देवता सूर्य को जल अर्पण करने के साथ आरंभ होता है, क्योंकि लोगों का विश्वास है कि, भगवान राम के पूर्वज सूर्य थे। लोग पूरे दिन भक्तिमय भजनों को गाने में शामिल होने के साथ ही बहुत सी हिंदू धार्मिक पुस्तकों का पाठ करते और सुनते हैं। इस समारोह के आयोजन पर धार्मिक लोगों या समुदायों के द्वारा वैदिक मंत्रों का जाप किया जाता है।
इस दिन पर उपवास रखना शरीर और मन को शुद्ध रखने का एक अन्य महत्वपूर्ण तरीका है। कुछ स्थानों पर, लोग धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव रामलीला का आयोजन, लोगों के सामने भगवान राम के जीवन के इतिहास को बताने के लिए करते हैं। लोग नाटकीय रुप में भगवान राम के जीवन के पूरे इतिहास को बताते हैं। राम नवमी के पर्व की रथ यात्रा का पारंपरिक और भव्य शोभायात्रा शांतपूर्ण राम राज्य को प्रदर्शित करने का सबसे अच्छा तरीका है, जिसमें लोग भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान की प्रतिमाओं को अच्छे ढंग से सजाते हैं और फिर गलियों में शोभायात्रा निकालते हैं। आमतौर पर, लोग शरीर और आत्मा की पूरी तरह से शुद्धि की मान्यता के साथ अयोध्या की पवित्र सरयू नदी में स्नान करते हैं।