श्रीराम के आदर्शों से सीखें जीवन जीने की सही राह
punjabkesari.in Thursday, Apr 10, 2025 - 12:33 PM (IST)

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'राम' शब्द केवल भारतीय उपमहाद्वीप तक ही सीमित नहीं है, बल्कि दुनिया भर की संस्कृतियों में इस शब्द का किसी न किसी रूप में उल्लेख है। उदाहरण के तौर पर, स्कैंडिनेवियाई देशों में सबसे अधिक बिकने वाला पानी 'राम-लूसा' के नाम से बिकता है। मुसलमानों का पाक महीना भी 'रामदान' कहा जाता है। हेज़रों का बेटा, जो कि डेविड का एक पूर्वज था, 'राम' के नाम से जाना जाता था। इजराइल के राज्य में भी 'जय-हो-राम' नामक राजा ने राज किया था। बाइबिल में भी कम से कम तीन- चार जगहों पर 'राम' शब्द का जिक्र है तथा और भी कई स्थानों, जैसे बेंजामिन, बेथल, आशेर तथा नपताली में भी इस शब्द उल्लेख है। अभी भी 'राम-नगर' के नाम से जेरुस्ल्म में एक शहर मौजूद है। हिब्रू में 'राम' का अर्थ है 'उच्च या महान' जो कि, शक्ति और सत्ता का प्रतीक है तथा अक्सर इसका प्रयोग किसी नेता या मुखिया के लिए किया जाता है। इन उदाहरणों से तो यही प्रतीत होता है कि राम का नाम, दुनिया भर में शुभ माना गया है।
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी, जो कि चैत्र नवरात्रों का अंतिम दिन भी है, 'राम- नवमी' के नाम से जाना जाता है। यह दिन 'राम-शक्ति' के प्रकटीकरण का दिन है। 'राम' इस सृष्टि में एक सकारात्मक दैविक शक्ति के प्रतिरूप हैं। उन्होंने संपूर्ण सृष्टि में संतुलन की पुनः स्थापना के लिए जन्म लिया था, न कि किसी मज़हब या समुदाय की स्थापना के लिए। इस दिन नक्षत्रों एवं ग्रहों की स्थिति ही कुछ ऐसी थी कि ‘राम’ के रूप में, एक असाधारण दैविक शक्ति मानव शरीर धारण कर सके। प्रत्येक वर्ष, इस तिथि पर नक्षत्रों की स्थिति कुछ ऐसी ही असाधारण होती है, जो इस दिन की ऊर्जा को बहुत शक्तिशाली बनाती है। गुरु सानिध्य में साधक इस दिन सुगमता से राम की शक्ति को प्राप्त कर उसे आत्मिक उन्नति और परोपकारी कार्यों में लगाते हैं।
इस दिन की शक्ति को प्राप्त करने के लिए एक सरल सी क्रिया है, 'राम' का जाप। इसका आरम्भ करने से पहले, श्रद्धा पूर्वक गुरु-वंदना करें और वज्र आसन में बैठ जाएं। आंखें बंद करके, नाक के सिरे पर ध्यान केंद्रित करें और अपने श्वास की लयबद्द क्रिया पर ध्यान देते हुए कुछ समय तक प्रत्येक सांस को श्वास - प्रक्रिया के साथ गहरा और लम्बा करते जाएं। फिर धीरे से एक गहरी लम्बी सांस के साथ अपना ध्यान अपनी नाभि के मध्य, मणिपूरक चक्र पर रखते हुए 'राम’का जाप शुरू करें। नाभि से शक्ति महसूस करते हुए, कुछ समय तक जाप को उच्च स्वर में जारी रखें फिर धीरे- धीरे उसका उच्चारण मंद और गहरा करते हुए धीरे-धीरे होठों पर ले आएं। अंत में मौन होकर, आंतरिक रूप से जाप जारी रखें। पूरे अभ्यास के समय आंखें बंद रखते हुए अपना ध्यान गुरु पर केंद्रित रखें।
यह एक बहुत ही शक्तिशाली जाप है जो शरीर में अत्यधिक ऊर्जा या गर्मी उत्पन्न कर सकता है। जाप पूर्ण होने पर उससे उत्पन्न ऊर्जा को, स्वयं की चेतना शक्ति से, अपने शरीर के प्रत्येक अंग और कोशिका में ले जाएं और किसी भी प्रकार के असंतुलन दूर करें। क्रिया पूर्ण होने पर, अपनी हथेलियों के मध्य भाग में देख कर, आप अपनी आंखे खोल सकते हैं।
अश्विनीजी गुरुजी