चारों धाम की यात्रा के समान है यहां स्नान-तर्पणादि करना

punjabkesari.in Wednesday, Dec 09, 2020 - 10:42 AM (IST)

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What is the history of Pushkar India: पुष्कर देश का सर्वाधिक चर्चित, लोकप्रिय तथा धार्मिक-आध्यात्मिक आस्था का सांस्कृतिक तीर्थ स्थल है। सारे तीर्थों की यात्रा करने के बाद पुष्कर जाकर नहीं नहाए तो यात्रा का पुण्यफल प्राप्त नहीं होता। यही वजह है कि प्रति वर्ष लाखों श्रद्धालु तीर्थ यात्री पुष्कर पहुंच कर अपने पापों के शमन के लिए सरोवर में स्नान करके जीवन सफल करते हैं।

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What is Pushkar known for: पुष्कर राजस्थान के अजमेर शहर से 11 किलोमीटर अरावली की सुरम्य पर्वत शृंखलाओं से घिरा सांस्कृतिक स्थल है। पुष्कर के बारे में मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा को जब यज्ञ करना था तो वे अपने हाथ में कमल का फूल लेकर ब्रह्मांड का चक्कर लगाने निकले। इस यात्रा में उनके हाथों से कमल का फूल इसी स्थान पर गिरा और वह स्थान स्वच्छ पानी के सरोवर के रूप में बदल गया ।

Story of Brahma and Pushkar City: ब्रह्मा जी का मन बस यहीं रह गया और उन्होंने यज्ञ की तैयारियां प्रारंभ कर दीं। जिस दिन नियत समय पर यज्ञ प्रारंभ होने वाला था, ब्रह्मा जी की धर्मपत्नी सावित्री यथा समय यज्ञ स्थल पर नहीं पहुंच पाईं।
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Is Pushkar the only Brahma temple: इधर यज्ञ का मुहूर्त बीता जा रहा था। ब्रह्मा जी घबराए और इंद्र से परेशानी बताई तो इंद्र महाराज एक रूपवान गुर्जर कन्या को ब्रह्मा जी की पत्नी के रूप में ले आए। यज्ञ प्रारंभ हो गया। सावित्री जब अन्य लोगों के साथ वहां पहुंची तो ब्रह्मा जी के साथ अन्य स्त्री को देख कर अत्यंत क्रोधित हुई। ब्रह्मा जी ने उन्हें स्थिति की विवशता तथा अन्य तौर-तरीके से लाख समझाया पर सावित्री जी नहीं मानीं तथा वे कुपित होकर पास की पहाड़ी पर चली गईं।

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Is pushkar holy city: जाते समय वह ब्रह्मा जी को यह श्राप भी देती गईं कि देश में अन्यंत्र कहीं भी ब्रह्मा जी की पूजा नहीं होगी तथा उनका केवल मात्र मंदिर पुष्कर में ही होगा। यह सही भी है कि पुष्कर के सिवाय ब्रह्मा जी का मंदिर विश्व में अन्यत्र दुर्लभ है जबकि विष्णु जी तथा महादेव जी के मंदिरों की अत्यंत बहुलता है।
 
पुष्कर में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर तीन मंदिर हैं जो ज्येष्ठ, कनिष्ठ तथा मध्य पुष्कर के नाम से जाने जाते हैं। इनमें ज्येष्ठ पुष्कर की ही मान्यता पूरे माहात्मय के साथ हैं। वैसे तो पुष्कर में आए दिन ही तीर्थ यात्रियों का तांता लगा रहता है परंतु कार्तिक मास की पूर्णिमा को देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।

पुष्कर में स्नान-तर्पणादि करना चारों धाम की यात्रा के समान है। यह मान्यता यहां देश भर के श्रद्धालुओं को बटोर लाती है। कार्तिक मास में जबकि सर्दी अपना रंग दिखाना प्रारंभ कर देती है, तीर्थ यात्रियों का गमनागमन बना रहता है। स्नान के बाद तर्पणादि में नारियल, फूल तथा चन्दनादि से पूजा क्रिया सम्पन्न होती है तथा दीपक पत्तों पर रख कर पानी में छोड़े जाते हैं। पुष्कर राज में दीपदान की परम्परा प्राचीन काल से माहात्म्य के साथ की जाती रही है।
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What is the most important temple in Pushkar: ब्रह्मा जी के एकमात्र मंदिर में जाना पुण्य का पहला फल है तथा लोग वहां की वस्तुशिल्प कला पर विमुग्ध हुए बिना नहीं रहते। मुगलकाल में औरंगजेब ने इस मंदिर को भी तोड़ा था परंतु कालांतर में इसकी मुरम्मत आदि कर दी गई तथा आज यह मंदिर अत्यंत भव्य एवं दर्शनीय है। हालांकि पुष्कर में औरंगजेब ने तोड़-फोड़ की परंतु जहांगीर ने अजमेर में रह तीन वर्षों में 15 बार जाकर स्नान किया जिसका उल्लेख उन्होंने स्वयं ‘तुज के जहांगीरी’ में किया है। इस दृष्टि से पुष्कर सर्व धर्म समन्वय का आध्यात्मिक स्थल है जहां साम्प्रदायिक सद्भाव अपने आप मुखर होकर मानव-समाज को एक नई चेतना एवं राह बताते हैं।
 
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Places to Visit in Pushkar: पुष्कर नगर 10-12 हजार की आबादी वाला एक शहरनुमा गांव है जहां आधुनिक सुख-सुविधाएं तथा गमनागमन के साधन प्रत्युरता से सुलभ हैं। पुष्कर अंडाकार झील के चारों ओर बसा हुआ है। यहां करीब 50-60 घाट हैं जिसमें गऊ घाट, वराह घाट तथा ब्रह्मा घाट अधिक प्रसिद्ध हैं। देश के अधिकांश राजघरानों के निजी आवासगृह भी यहां बने हुए हैं।

Pushkar mela: पुष्कर में करीब चार सौ मंदिर हैं जिसमें रंगजी तथा ब्रह्मा जी का मंदिर सबसे ज्यादा भव्य, लोकप्रिय और दर्शनीय है। रंगजी के मंदिर में विष्णु, नृसिंह तथा लक्ष्मी जी की प्रतिमाएं स्थापित हैं। कार्तिक मास में पुष्कर में 15 दिन का मेला लगता है तथा इसमें ग्रामीण वस्तुओं की खरीद-फरोख्त के अलावा पशुओं की भी विशाल मंडी लगती है। पशुओं की खरीदारी का यह प्रसिद्ध तथा बड़ा मेला है। इतना बड़ा मेला राजस्थान में अन्यत्र नहीं आयोजित हो पाता परंतु इस वर्ष कोरोना की वजह से आयोजित नहीं हो सका।

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History of Pushkar Festival: लगभग एक मास पहले ही दुकान लगाने वाले दूर-दूर से आकर दुकान प्रारंभ कर देते हैं तथा कृषि, बुवाई और निराई से निपट कर खेतों का कामधाम खत्म करके किसान लाखों की संस्था में सिमटा चला जाता है। मेले में गौरबंद, मालाएं, घंटियां, हाथी दांत का सामान, पीतल का सामान, छपे हुए राजस्थानी वस्त्र, झूले, रकाब, काटिया, मनिहारी तथा अन्य सौंदर्य प्रसाधन भी बहुतायत से बिकते हैं।

ग्रामीण वर्ग में काम आने वाली चीजें भी बिक्री का मूलाधार हैं। मेले में स्वदेशी तीर्थ यात्रियों के अलावा हजारों विदेशी पर्यटक भी भारतीय आंचलिक जीवन की जीवंत झांकी देखने पहुंचते हैं। भारतीय संस्कृति और ग्रामीण जीवन के दिग्दर्शन के लिए राजस्थान पर्यटन निगम मेला स्थल के समीप ‘पर्यटन ग्राम’ की स्थापना करता है। लाल, हरे, सफेद एवं रंगीन तम्बुओं से यह गांव लुभावना बन जाता है।  इन तम्बुओं के नाम राजस्थान की प्रसिद्ध सांस्कृतिक धरोहरों पर रखे जाते हैं मसलन नृत्यों में झूमर, चिमा, भिवाई, भोजन कक्षों में मारवाड़ी, मेवाड़ी तथा ढूढोड़ी, इनकी साज-सज्जा तथा व्यवस्था भी उनके नामों के अनुकूल ही की जाती है।

तम्बुओं में ‘डीलक्स’ एवं सामान्य ‘श्रेणियां निर्धारित हैं। इस ग्राम में बैंक में विदेशी मुद्रा विनियम तथा लाकर्स की सुविधा सुलभ है। टैलीफोन तथा शापिंग सैंटर भी बनाए जाते हैं। पर्यटन विभाग द्वारा मनोरंजन के लिए राजस्थानी आमोद-प्रमोद के लिए पारम्परिक साधनों से सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
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Pushkar Tourism: पुष्कर का प्राकृतिक सौंदर्य भी कम दर्शनीय नहीं है। स्वच्छ पानी की झील के चारों ओर बने ऊंचे-ऊंचे कलात्मक घाट, विविध लोकांचलों के तीर्थ यात्री, भाषा बोली, पहन-पहनावा तथा खान-पान, घाटों पर नहाते-तर्पणादि करते स्त्री-पुरुष एवं ब्राह्मणों का मंत्रोच्चारण, पूजा-पाठ, बंदर-लंगूरों के हुजूम, पानी में तैरते बालक एवं पुरुष इस दृष्टि से पुष्कर तीर्थ स्थल के अलावा पर्यटन के लिए भी आकर्षक स्थल है। हां, पिछले एक दशक से विदेशी हिप्पियों के कारण यहां का सांस्कृतिक वातावरण अवश्य प्रदूषित हो रहा है।
 
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Niyati Bhandari

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