एक ऐसा शिवलिंग जिसके दर्शन मात्र से दूर होते हैं दुख-दर्द

punjabkesari.in Tuesday, Feb 25, 2020 - 01:01 PM (IST)

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भगवान शिव की महिमा के बारे में तो सब जानते ही हैं। सोमवार के दिन उन्हें एक लोटा जल चढ़ाकर ही प्रसन्न किया जा सकता है। ऐसे ही कोई अपनी इच्छा की पूर्ति के लिए किसी न किसी मंदिर में जाकर भगवान को खुश करने में लगा रहता है। बहुत से लोग उनकी कृपा को पाने के लिए व्रत भी रखते हैं। इसी के साथ आज हम आपको भगवान शिव के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते होंगे। 
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हम आपको बताएंगे विश्व के सबसे ऊंचे शिवलिंग के बारे में। जी हां, बताया जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना भीम ने किया था और यह मंदिर उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के खरगूपुर में स्थित है। यह मंदिर वास्तुकला का सर्वोत्तम नमूना है। इस मंदिर को पृथ्वीनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग विश्व का सबसे ऊंचा शिवलिंग है, जिसे द्वापर युग में पांडवों के अज्ञातवास के दौरान भीम ने स्थापित किया था। ऐसी मान्यता है कि इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
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मान्यताओं के अनुसार पांडवों के अज्ञातवास के दौरान भीम ने बकासुर का वध किया था। बकासुर के वध के कारण भीम को ब्रह्महत्या का दोष लगा था। पौराणिक कथाओं के मुताबिक इस दोष से मुक्ति के लिए भीम ने शिवलिंग की स्थापना की थी। बताया जाता है कि ये सात खंडों का शिवलिंग है जो 15 फुट ऊपर दिखता है और 64 फिट जमीन के नीचे है।
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ऐसा बताया जाता है कि मुगल सम्राट के कार्यकाल में किसी सेनापति ने यहां पूजा अर्चना की और मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। बताया जाता है कि भीम द्वारा स्थापित यह शिवलिंग धीरे-धीरे जमीन में समा गया। इसके बाद खरगूपुर के राजा मानसिंह की अनुमति से पृथ्वीनाथ सिंह के नाम के एक शख्स ने मकान निर्माण के लिए यहां पर खुदाई शुरू करा दी। उसी रात पृथ्वीनाथ सिंह को सपने में पता चला कि उस जमीन के नीचे सात खंडों का एक शिवलिंग दबा हुआ है। उसके बाद शिवलिंग खोदवाकर पूजा-अर्चना शुरू करा दी गई। इसके बाद ही इस मंदिर का नाम पृथ्वीनाथ मंदिर पड़ गया।


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