Pitru Paksha: पितृपक्ष में चींटियों को आटा क्यों खिलाना चाहिए ? जानिए धार्मिक मान्यता
punjabkesari.in Sunday, Sep 07, 2025 - 05:00 AM (IST)
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Pitru Paksha: पितृ पक्ष हिन्दू धर्म का एक ऐसा पवित्र काल है जिसमें हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं, उनका तर्पण करते हैं और उनके प्रति श्रद्धा अर्पित करते हैं। यह 16 दिनों की अवधि भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर आश्विन अमावस्या तक चलती है, जिसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है। इस समयकाल में लोग अनेक धार्मिक कर्मों, पूजा-पाठ, तर्पण, पिंडदान और दान-पुण्य के माध्यम से पितरों को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। इन्हीं धार्मिक उपायों में एक बहुत ही सरल, किंतु अत्यंत प्रभावशाली उपाय है चींटी को आटा खिलाना।

पितृ पक्ष में चींटी को आटा खिलाने की परंपरा
आपने अक्सर बुज़ुर्गों को कहते सुना होगा कि “चींटियों को आटा डालो, पुण्य मिलेगा। यह केवल एक लोककथा नहीं बल्कि पुराणों और शास्त्रों से जुड़ा हुआ धार्मिक उपाय है, जिसे पितृ पक्ष में करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
चींटी को आटा क्यों खिलाया जाता है ?
शास्त्रों में कहा गया है कि पितृ पक्ष में किसी भी भूखे जीव को भोजन कराना पूर्वजों को प्रसन्न करता है। चींटी जैसे छोटे जीवों को आटा खिलाने से अदृश्य रूप में पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है।

जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है, उनके जीवन में बार-बार बाधाएं, रोग, धन हानि, संतान संबंधी कष्ट आदि आते हैं। चींटी को नियमित आटा खिलाने से पितृ दोष शांत होता है और जीवन में राहत मिलती है।
हिंदू धर्म में दान और जीवों पर दया करना सबसे बड़ा धर्म माना गया है। चींटियों को आटा देना अन्न दान और जीव दया दोनों का समन्वय है, जो कई गुना पुण्य प्रदान करता है।
जब हम निःस्वार्थ भाव से जीवों की सेवा करते हैं, तो हमारे कर्म शुद्ध होते हैं और मन में शांति एवं सकारात्मकता का संचार होता है। यह आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत लाभकारी है।

