क्या सच में पितृ पक्ष में नहीं खरीद सकते हैं नईं चीज़ें?

punjabkesari.in Friday, Sep 04, 2020 - 02:04 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
प्रत्येक वर्ष पितृ पक्ष के आरंभ होती ही देश के विभिन्न पावन घाटों व नदियों के किनारों पर लोगों को अपने पितरों का तर्पण करते देखा जाता है। मगर इस बार कोरोना के चलते बहुत कछ बदल गया है। बहुत से लोग अपने घरों में रहकर ऑनलाइन पितृ तर्पण कर रहे हैं। कहा जाता है कि पितृ पक्ष में केवल श्राद्ध करना ही आवश्यक नहीं होता बल्कि इससे जुड़े खई नियमों आदि का ही ध्यान रखना भी अति आवश्यक होता है। आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में इसी से जुड़ी जानकारी बताने वाले हैं। 
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कहा जाता है पितृ पक्ष में न तो किसी तरह के शुभ कार्य की शुरूआत की जाती है, न ही इस दौरान नई चीज़ें खरीदी जाती हैं। मगर फिर भी कुछ लोग जाने-अनजाने में ऐसी कुछ वस्तुओं की खरीददारी कर लेते हैं जिसका जातक पर बुरा प्रभाव पड़ा जाता है। क्योंकि शास्त्रों में पितृ पक्ष से जुड़ी कुछ इन चीज़ों के बारे में बताया गा है कि अगर कोई व्यक्ति इनकी खरीददारी करता है तो पितर प्रसन्न नहीं बल्कि नाराज़ हो जाते हैं। मगर ऐसा क्यों है? इसके बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी बहुत कम लोग जानते हैं। तो चलिए जानते हैं कि इस मान्यता के पीछे का असली कारण क्या है? क्या इसके पीछे कोई ठीस कारण है या इससे जुड़ी सच्चाई कुछ और है?

जैसे कि हमने आपको उपरोक्त बताया कि ऐसी धारण है कि श्राद्ध पक्ष में जब कोई व्यक्ति नई चीज़ खरीदता है तो वह पितरों के निमित्त होती है, पितर प्रेत के रूप में उस चीज़ को स्वीकार करते हैं। तो साथ ही साथ ये भी माना जाता है कि श्राद्ध कर्म में सिर्फ पितरों की पूर्ण श्रद्धा भाव से सेवा-आराधना करनी चाहिए। इस दौरान कभी अपने भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए किसी प्रकार की नई चीज़ न खरीदें। मगर बताया जाता है कि ऐसा धारणाओं को सही माना जाए इसका तथ्यात्मक रूप से कहीं जिक्र नहीं मिलता। 
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इसके अलावा श्राद्ध पक्ष में किसी तरह के मांगलिक कार्यों को नहीं करना चाहिए, जैसे मुंडन, शादी, उपनयन संस्कार, नींव पूजन तथा ग्रह प्रवेश आदि कार्य। मगर कुछ लोगों का कहना है इस दौरान कपड़े, गहने, वाहन आदि चीज़ों की खरीददारी नहीं की जा सकती है, मगर बता दें ऐसा नहीं है ऐसा कुछ करने में किसी तरह की कोई मनाही नहीं होती। कुछ ज्योतिष मान्यताओं की मानें जब पितर श्राद्ध के समय घर आते हैं तो वे नईं चीजों को देखकर प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए कहा जाता है कि नईचीजों की खरीदारी आर्थिक संपन्नता को दर्शाती है और अपने बच्चों की तरक्की को देखकर पूर्वज प्रसन्न होते हैं। 

अगर तथ्यात्मक रूप से देखें तो एक तरह से श्राद्ध पक्ष को अशुभ कहना भी सही नहीं है। इसका कारण ये है कि श्राद्ध की शुरूआत सर्वप्रथम गणपति महाराज की पूजा से होती है और इसका समापन शारदीय नवरात्रि के प्रारंभ के दौरान होता है। जिस कारण ऐसा माना जाता है कि जिस कार्य से पहले गणपति जी की आराधना हो और समापन होने पर नवदुर्गा की पूजा आरंभ हो रही तो वह अवधि अशुभ कैसे हुई। 
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मगर इसका अर्थ ये भी नहीं है कि इस दौरान किसी प्रकार के गलत कार्य किए जाएं, जैसे इस दौरान किसी के साथ अमानवीय व्यवहार नहीं करना चाहिए तथा न ही किसी के प्रति बुरा सोचना चाहिए। ऐसे कर्म करने से जातक के पितरों की आत्मा को ठेस पहुंचती है।

बता दें इस बार पितृ पक्ष में 7 सर्वार्थ सिद्धि योग, दो रवि योग, एक त्रिपुष्कर योग बन रहा है। तो 13 सितंबर को इंदिरा एकादशी के दिन रविपुष्य योग भी बन रहा है। इसके अलावा इसी श्राद्ध में विश्वकर्मा पूजन भी श्रेष्ठ रहने वाला है। जिस कारण मांगलिक कार्य को छोड़कर कपड़े, वाहन, गहने आदि चीजों की खरीदारी की जा सकती है। 


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Jyoti

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