आज से डूब गया है तारा, शादी-ब्याह और मांगलिक कार्यों पर विराम

punjabkesari.in Friday, Dec 15, 2017 - 12:12 PM (IST)

शुक्र ग्रह को तारा माना गया है। इनके अस्त हो जाने पर भारतीय ज्योतिष शास्त्र किसी भी प्राणी को शुभकार्य की अनुमति नहीं देता। ज्योतिष के प्राचीन ग्रंथों में इस बात का उल्लेख मिलता है और ऋग्वेद के अनेक मंत्र यह संकेत देते हैं कि हर बीस महीनों की अवधि के दौरान शुक्र नौ महीने प्रभात काल में अर्थात प्रातः काल पूर्व दिशा में चमकता हुआ दृष्टिगोचर होता है। 


गुरु एवं शुक्र के उदयास्त के संबंध में वैदिक साहित्य से भी यह ज्ञात होता है कि गुरु दो से तीन माह तक शुक्र के आसपास ही घूमा करता था। इस अवधि में गुरु कुछ दिनों तक शुक्र के अत्यधिक निकट रहता है लेकिन शुक्र की अपनी स्वाभाविक तेज गति के कारण गुरु पीछे रह जाता है और शुक्र पूर्व दिशा की ओर बढ़ते हुए आगे निकल जाता है जिसका परिणाम यह होता है कि शुक्र ग्रह का पूर्व दिशा की ओर उदय होता है। इस अस्तोदय की कार्य प्रणाली के पूर्व इतना जरूर निश्चित रहता है कि कुछ समय तक ये दोनों ग्रह साथ-साथ रहते हैं। शुक्र का अर्थ सींचने वाला है। इसके बल के अनुरूप ही पुरुष वीर्यशाली या वीर्यहीन होता है। जब शुक्र ग्रह पृथ्वी के दूसरी ओर चला जाता है तब इसे शुक्र का अस्त होना या डूबना कहते हैं। गुरु व शुक्र के अस्त के समय विवाह आदि शुभ मांगलिक कार्य करना पूर्णतः वर्जित है। 


तारा अस्त यानि आज से शादी-ब्याह के साथ ही सभी मांगलिक कार्यों पर फरवरी माह तक ब्रेक लग गया है। मान्यता है कि तारा अस्त होने के कारण शुभ कार्यों में विराम लग जाता है। सुख का प्रतीक शुक्र तारा वेधशाला श्रीवल्लभ मनीराम पंचांग के अनुसार 11 दिसम्बर को दोपहर 13 बजकर 12 मिनट पर पूर्व में अस्त होकर आगामी 6 फरवरी को पश्चिम में 20 बजकर 44 मिनट पर उदय होगा तब तक ब्याह-शादियां बंद रहेगी।


बता दें जानकारी के मुताबिक चतुर्मास समाप्ति के बाद 13 नवम्बर से 11 दिसम्बर तक की शुभ वेला में क्षेत्र का लगभग कोई परिवार ऐसा नहीं बचा जिसने शादी, सगाई, कुंआ पुजन आदि समारोह में विशेष खान-पान का लुत्फ न उठाया हो। साथ ही इस दौरान घोड़ी, बग्गी, वाटिका, कैटरर्स के व्यवसाय पर विराम लग गया और उनके चेहरे मायूस हो गए। इसके अलावा जिन जोड़ों का विवाह तय हो गया उनको भी अब 6 फरवरी का बेसब्री से इंतजार रहेगा वो करवटें बदलकर समय का इंतजार करेंगे।


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