Parivartini Ekadashi: परिवर्तिनी एकादशी पर भगवान विष्णु लेते हैं करवट, पूरी होती हैं मनोकामनाएं
punjabkesari.in Tuesday, Sep 02, 2025 - 03:02 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Parivartini Ekadashi 2025: भगवान काे एकादशी अति प्रिय है परंतु एकादशी तिथि काे किए गए व्रत एवं हरिनाम संकीर्तन से प्रभु बहुत जल्दी और अधिक प्रसन्न हाेकर अपने भक्ताें पर कृपा करते हैं। भाद्रमास में भगवान वामन जी का अवतार हुआ था। इसी कारण व्रत में भगवान विष्णु के बाैने रूप की पूजा करने से भक्त काे तीनाें लाेकाें की पूजा करने के समान फल मिलता है। यह एकादशी भक्त काे वाजपेय यज्ञ के समान पुण्य फलदायिनी हाेती है। मनुष्य के सभी पापाें का नाश करने वाली इस एकादशी व्रत के प्रभाव से मनुष्य की सभी मनाेकामनाएं पूर्ण हाेती हैं तथा अंत में उसे प्रभु के परमपद की प्राप्ति हाेती है। विधिपूर्वक व्रत करने वालाें का चंद्रमा के समान यश संसार में फैलता है।
Parivartini Ekadashi: एकादशी के दिन भगवान सायंकाल के समय करवट बदलते हैं। इसी कारण प्रभु का महाेत्सव शाम काे करना चाहिए। शास्त्रानुसार श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पाद सेवन, अर्चन, वंदन, दास्यभाव, सखाभाव व आत्म निवेदन आदि भक्ति के 9 अंग हैं, परंतु सभी के नाम संकीर्तन करना सर्वश्रेष्ठ है इसलिए रात काे प्रभु के नाम का संकीर्तन अवश्य करना चाहिए। साल 2025 में ये शुभ तिथि 4 सितंबर दिन गुरुवार को पड़ रही है। धार्मिक दृष्टि से इस एकादशी का बहुत महत्व माना जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि देवश्यनी और देव प्रबोधनी के समान ही परिवर्तिनी एकादशी का महत्व है। इस दिन व्रत और पूजा करने पर सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।
परिवर्तिनी एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित एक विशेष पर्व है। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। अगर आप इस व्रत को सही विधि से करते हैं, तो आपको भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होगी इसलिए इस पावन दिन पर व्रत रखकर और भगवान विष्णु की आराधना कर अपने जीवन को पवित्र और समृद्ध बना सकते हैं।
Parivartini Ekadashi Significance परिवर्तनी एकादशी का महत्व
भादों मास में पड़ने वाली परिवर्तनी एकादशी बहुत महत्वपूर्ण होती है। इस व्रत को करने से वाजपेज्ञ यज्ञ के समान ही माना जाता है। इस व्रत के बारे में महाभारत में भी कहा गया है। भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर और अर्जुन को परिवर्तनी एकादशी व्रत के बारे में बताया था। इस दिन भगवान विष्णु की वामन और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना होती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही धन की कमी भी नहीं होती है।