Parivartini Ekadashi 2025: परिवर्तिनी एकादशी कब है ? Note करें सही डेट एवं शुभ मुहूर्त
punjabkesari.in Sunday, Aug 24, 2025 - 06:49 AM (IST)

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Parivartini Ekadashi 2025: परिवर्तिनी एकादशी, जिसे पद्मा एकादशी या जलझूलनी एकादशी भी कहा जाता है, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान विष्णु को समर्पित होता है और हिंदू धर्म में इसे अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में करवट बदलते हैं, इसी कारण इसे परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है। यह दिन चातुर्मास का एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है। व्रत करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए जानें परिवर्तिनी एकादशी 2025 में कब है, इसका महत्व, शुभ मुहूर्त, व्रत विधि और इससे जुड़ी धार्मिक मान्यताएं।
परिवर्तिनी एकादशी में कब है ?
एकादशी तिथि प्रारंभ: 3 सितंबर को रात 3:53 मिनट
एकादशी तिथि समाप्त: 4 सितंबर को सुबह 4:21 मिनट पर समाप्त
उदया तिथि के अनुसार 3 सितंबर को परिवर्तिनी एकादशी मनाई जाएगी।
परिवर्तिनी एकादशी का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को सबसे पुण्यदायी व्रतों में से एक माना गया है। परिवर्तिनी एकादशी का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु क्षीर सागर में योग निद्रा के दौरान करवट बदलते हैं। यही कारण है कि इसे परिवर्तन या परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन व्रत करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। साथ ही मान्यता है कि व्रत करने से जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
Parivartini Ekadashi fasting method परिवर्तिनी एकादशी व्रत विधि
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
घर के मंदिर की सफाई करके भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं।
पीले वस्त्र पहनाएं और पीले फूल, तुलसी दल, फल, मिठाई आदि अर्पित करें।
व्रत का संकल्प लें और ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें।
विष्णु सहस्रनाम, भगवद गीता और पद्म पुराण का पाठ करें।
द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद पारण करें।
ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दें।
पारण से पहले किसी जरूरतमंद को अन्न, वस्त्र, या दक्षिणा का दान करना शुभ होता है।