Papankusha Ekadashi 2025: पापांकुशा एकादशी पर करें इन मंत्रों का जाप, मन को मिलेगी अद्भुत शांति और सुकून
punjabkesari.in Sunday, Sep 28, 2025 - 05:00 AM (IST)

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Papankusha Ekadashi 2025: पापांकुशा एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। जैसा कि नाम से पता चलता है, पापांकुशा का अर्थ है पापों को अंकुश लगाने वाला या पापों को रोकने वाला। ऐसी मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से जाने-अनजाने में किए गए सभी पापों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति को मानसिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मन को अद्भुत शांति और सुकून देने वाले मंत्र
पापांकुशा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करना अत्यंत कल्याणकारी माना जाता है। मंत्रों के शुद्ध उच्चारण और मन की एकाग्रता से जाप करने पर मन को अद्भुत शांति और सुकून मिलता है। ये मंत्र आपकी आत्मा को पवित्र करते हैं और भगवान की कृपा बरसाते हैं।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
यह मंत्र सभी पापों को हरने वाला और मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है। इसके जाप से मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और अद्भुत शांति का अनुभव होता है। यह मंत्र भगवान विष्णु के प्रति पूर्ण समर्पण और भक्ति को दर्शाता है। आप पूजा के दौरान तुलसी की माला से इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।
विष्णु गायत्री मंत्र
ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
इस मंत्र के जाप से बुद्धि तेज होती है और ज्ञान की प्राप्ति होती है। यह जीवन की बाधाओं को दूर कर सफलता और समृद्धि लाता है। एकाग्र मन से जाप करने पर मानसिक तनाव दूर होता है और हृदय में शांति का वास होता है।
ॐ विष्णवे नमः॥
इस मंत्र का जाप बहुत आसान है और इसे चलते-फिरते, उठते-बैठते भी किया जा सकता है। यह शीघ्र ही शांति प्रदान करता है और भगवान विष्णु की कृपा बनाए रखता है।
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी। हे नाथ नारायण वासुदेवा॥
यह मंत्र भावनात्मक शांति, भय से मुक्ति और जीवन के हर संकट में सहारा देने वाला माना जाता है। इसके जाप से मन को असीम आनंद और संतुष्टि मिलती है।
Method of Chanting जाप करने की सरल विधि
पापांकुशा एकादशी पर मंत्रों का जाप करते समय इन बातों का ध्यान रखें:
सुबह स्नान आदि करने के बाद, हाथ में जल लेकर व्रत और जाप का संकल्प लें।
पीले रंग के आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
तुलसी या चंदन की माला का उपयोग करें।
आंखें बंद करके या भगवान विष्णु की प्रतिमा पर ध्यान केंद्रित करते हुए, शांत मन से मंत्रों का जाप करें। कम से कम 108 बार या उससे अधिक अपनी क्षमतानुसार जाप करें।