यहां श्रीराम ने किया था अपने पिता दशरथ का ‘श्राद्ध’
punjabkesari.in Sunday, Aug 15, 2021 - 11:41 AM (IST)

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राम की वनवास यात्रा से जुड़े जिन स्थलों के दर्शन इस बार आपको करवाने जा रहे हैं, उनमें वह स्थान विशेष रूप से शामिल है जहां श्रीराम ने लंका की ओर जाते समय दशरथ जी का श्राद्ध किया था। अन्य स्थलों में 108 शिवलिंगों वाला एक अनूठा मंदिर जैसे कुछ महत्वपूर्ण स्थल शामिल हैं।
पापनाशन 108 शिवलिंग मंदिर, तंजावुर, तमिलनाडु
यह रामलिंग (शिव मंदिर) रामेश्वरम मंदिर की तरह ही बनाया गया है। मंदिर के भीतर कुल 108 शिवलिंग स्थापित किए गए हैं। खर-दूषण तथा त्रिशिरा की ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति के लिए श्रीराम ने यहां शिव पूजा की थी। (ग्रंथ उल्लेख : वा.रा. 6/4/9 से आगे पूरे अध्याय मानस 5/34/2 से 5/34/छं 2 तक)
लंका जाते समय श्रीराम यहां आए और उन्होंने अपने पिता दशरथ जी का श्राद्ध भी किया था। आस-पास श्री राम यात्रा से संबंधित कुछ अन्य स्थल भी हैं। लोक कथा के अनुसार यहां से कुछ दूरी पर भैरव मंदिर, मनकत्तूर में स्थानीय प्रभाव से लक्ष्मण जी का मन राम भक्ति से हट गया था। बाणावर में बाणेश्वर मंदिर है। कन्नड़ शब्द ‘बाण होरा’ का अर्थ ‘बाण नहीं उठा सकता’ होता है। यहां लक्ष्मण जी ने श्री राम के धनुष-बाण लेकर चलने से मना कर दिया था। भगवान शिव ने इसे स्थानीय प्रभाव बता कर दोनों को शांत किया था।
राम देवर गुड्डा (राम देव पहाड़ी) के निकट जंगल में भगवान शिव का मंदिर है। रामनाथपुरा में लक्ष्मणेश्वर मंदिर कावेरी नदी पार करके है। यात्रा में श्रीराम और लक्ष्मण जी अलग-अलग चल रहे थे। शिव पूजा का समय हुआ तो राम जी ने नदी पार नहीं की इसलिए लक्ष्मण जी ने कावेरी नदी के पार यहां शिव पूजा की तथा लक्ष्मणेश्वर मंदिर की स्थापना की।
(ग्रंथ उल्लेख : वा.रा. 6/4/9 से आगे पूरे अध्याय मानस 5/34/2 से 5/34/छं 2 तक) —डा. राम अवतार