हिमाचल के मंदिरों में मौजूद है 3 अरब से ज्यादा का सोना-चांदी

Thursday, Mar 05, 2020 - 08:55 AM (IST)

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नई दिल्ली (विशेष): देवभूमि हिमाचल प्रदेश के देवी-देवताओं में देश-विदेश के लाखों लोगों की गहरी आस्था का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 29 मंदिरों में 500 किलोग्राम से अधिक सोना और 19 टन चांदी है, जिसकी मार्कीट वैल्यू 3 अरब रुपए से ज्यादा आंकी जा रही है, जबकि इन मंदिरों की करीब 400 करोड़ रुपए की राशि नकद और फिक्स्ड डिपॉजिट (एफ.डी.) के रूप में बैंक में जमा है। यह जानकारी विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री के एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सदन में दी।

इन मंदिरों में हर साल लाखों श्रद्धालु विशेष रूप से नवरात्रों के दौरान देश-विदेश से नतमस्तक होने आते हैं और मन्नत पूरी होने पर सोना, चांदी और नकदी चढ़ाते हैं। इन 29 मंदिरों को हिमाचल प्रदेश हिंदू पब्लिक रीलिजियस इंस्टीच्यूशन्स एंड चैरीटेबल एंडोमैंट एक्ट 1984 की अनुसूची 1 में शामिल किया गया है और वे स्वयं के धन से मंदिर की संपत्ति की देखभाल करते हैं।

मां चिंतपूर्णी में है 198 किलो सोना
ऊना जिले का प्रसिद्ध शक्तिपीठ चिंतपूर्णी मंदिर 198 किलोग्राम सोने, 71.42 क्विंटल चांदी, 102 करोड़ रुपए फिक्स्ड डिपॉजिट और 1.57 करोड़ रुपए की नकदी के साथ हिमाचल प्रदेश का सबसे अमीर मंदिर है। इसके बाद बिलासपुर जिले में माता नैना देवी मंदिर है, जिसमें 180 किलोग्राम सोना, 72.92 क्विंटल चांदी, 58 करोड़ रुपए फिक्स्ड डिपॉजिट और 11.47 करोड़ रुपए नकदी है।

किस मंदिर में कितना सोना
कांगड़ा जिले में शक्तिपीठ बज्रेश्वरी देवी मंदिर में 33 किलो सोना, 10 क्विंटल चांदी और 3.54 करोड़ रुपए जमा हैं और 1.17 करोड़ रुपए नकद हैं।  कांगड़ा जिले के ज्वालाजी मंदिर, हिमाचल प्रदेश के एक अन्य शक्तिपीठ के पास, 23 किलो सोना, 8 क्विंटल चांदी, सावधि जमा में 53 करोड़ रुपए और नकदी के रूप में 3.42 करोड़ रुपए हैं। अन्य मंदिरों में, जिनके पास महत्वपूर्ण मात्रा में सोना और नकदी भंडार हैं, चंबा जिले में लक्ष्मीनारायण मंदिर, हमीरपुर जिले में बाबा बालक नाथ मंदिर, कांगड़ा जिले में चामुंडा देवी मंदिर, शिमला जिले में भीमाकाली मंदिर और सिरमौर जिले में महामाया बालासुंदरी मंदिर हैं। 

35 मंदिरों का प्रबंधन देखती है प्रदेश सरकार
मुख्यमंत्री ने राज्य विधानसभा को सूचित किया कि राज्य सरकार ने 35 मंदिरों का अधिग्रहण किया था और इन मंदिरों का प्रबंधन सरकार द्वारा किया गया था। यहां यह उल्लेख करना उचित है कि ये मंदिर अन्य सामाजिक गतिविधियों के अलावा गरीब परिवारों की लड़कियों की शादी के लिए भी धन का उपयोग करते हैं।

धन का उपयोग मंदिरों के सौंदर्यीकरण, भक्तों और पर्यटकों के लिए सुविधाओं के विस्तार और निर्माण के लिए भी किया जाता है। ये मंदिर एक ट्रस्ट के तहत चलाए जाते हैं और संबंधित जिले के उपायुक्त मंदिर ट्रस्ट के प्रमुख का कार्यभार संभालते हैं।

एफ.डी. और नकदी के रूप में बैंकों में पड़ें हैं 400 करोड़ रुपए 

20 प्रतिशत सोने का उपयोग गोल्ड बांड योजना में 
राज्य सरकार द्वारा 2018 में उच्च न्यायालय में प्रस्तुत की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक इन मंदिरों को नकद दान के रूप में 361 करोड़ रुपए मिले थे। यह भी उल्लेखनीय है कि स्टेट बैंक की गोल्ड बांड योजना के तहत 20 प्रतिशत सोने का उपयोग किया जाता है, जबकि 50 प्रतिशत सोने को बिस्कुट या सिक्कों में बदल दिया जाता है, जिसे बाद में भक्तों को बाजार दरों पर बेचा जाता है। इसके अलावा 20 फीसदी सोना रिजर्व के तौर पर मंदिरों में रखा जाता है।
        

Niyati Bhandari

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