Old age lifestyle: वृद्धावस्था को खुशहाल बनाएं और ढेरों खुशियां पाएं
punjabkesari.in Friday, Mar 21, 2025 - 07:46 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Old age lifestyle: हम सभी इस तथ्य से अच्छी तरह परिचित हैं कि संसार के प्रत्येक जीव की जीवनयात्रा में बुढ़ापा एक आवश्यक पड़ाव है। जिसने जन्म लिया है, समय के साथ-साथ उसके शरीर का विकास भी अवश्य होगा और आयु बढ़ने के साथ-साथ शारीरिक क्षमताओं का ह्रास होगा तथा वृद्धावस्था भी जरूर आएगी। ये सब कुछ जानते हुए भी ऐसा देखा गया है कि संसार के अधिकांश लोग बुढ़ापे के नाम से ही घबराते हैं। पर क्यों? क्योंकि वे मानसिक रूप से खुद को इसके लिए तैयार नहीं करते।
जीवन को यात्रा कहा गया है और कोई भी व्यक्ति जब यात्रा के अंतिम पड़ाव पर पहुंचता है तो वह प्रसन्नता का अनुभव करता है, परन्तु आज की परिस्थिति में यात्रा का अंतिम पड़ाव यदि दुखदायी है तो हमें उसके कारणों को समझना होगा। वास्तव में, हर प्रकार की यात्रा की पूर्व तैयारी हमें बहुत पहले से ही करनी पड़ती है, क्योंकि बिना तैयारी के यात्रा कठिन हो जाती है और इसीलिए जीवन-यात्रा की मानसिक तैयारी भी हमें बाल्यकाल से ही करनी चाहिए।
स्मरण रहे ! यदि हमारी मनोभूमि शक्तिशाली है तो हमें हर बात अनुकूल दिखाई देती है, पर यदि मनोभूमि कमजोर हो तो हर बात प्रतिकूल नजर आती है। तभी तो हम देखते हैं कि आजकल 70-80 साल के बुजुर्ग बड़ी ही उमंग और उत्साह के साथ मैराथन दौड़ में भाग लेते हैं और 30-40 साल के युवा घुटनों के दर्द से पीड़ित होकर घर पर ही बैठे रहते हैं।
इसीलिए हृदय रोग के विशेषज्ञ हमेशा मरीजों को यह कहते हैं कि झुर्रियां हमारे माथे पर पड़नी ही हैं तो भी उन्हें हृदय पर मत पड़ने दो। अत: मन और हृदय को खुश और शक्तिशाली रखेंगे तो बढ़ती उम्र का आपके ऊपर कोई असर नहीं होगा। क्रियाशीलता की दृष्टि से मानव जीवन का पूर्वार्द्ध अपने व अपने परिवार के लिए है, परन्तु उत्तरार्ध में अपने को ध्यान, साधना, परोपकार के लिए तैयार कर लेना आवश्यक है।
बड़ी होती संतान को उसके कर्तव्यों से परिचित करवाते हुए स्वयं को दीन-दुखियों की सेवा, सहायता, ज्ञान, सद् विचार, सद्भावों में व्यस्त कर लेना चाहिए। यह तो हम पर निर्भर करता है कि हम अपने इस अनमोल जीवन को कैसे जिएं। मन से बूढ़े होकर या मन से सदैव जवान होकर।