Narasimha Jayanti: इस विधि से करें व्रत, बढ़ेगा तेज और शक्ति बल
punjabkesari.in Monday, May 20, 2024 - 08:00 AM (IST)
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2024 Narasimha Jayanti: भक्तों की रक्षा के लिए प्रभु धरती पर अवतरित होते हैं। भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान ने नरसिंह अवतार लिया था। सभी विघ्नों का नाश करने वाली नृसिंह जयंती का व्रत 21 मई को है। भगवान को अपने भक्त सदा प्रिय लगते हैं तथा जो लोग सच्चे भाव से प्रभु को याद करते हैं, उन पर प्रभु की कृपा सदा बनी रहती है। भगवान अपने भक्तों के सभी कष्टों का क्षण भर में निवारण कर देते हैं।
हमारे शास्त्र एवं पुराण प्रभु की महिमा से भरे पड़े हैं। जिनमें बताया गया है कि भगवान सदा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। जब भक्त किसी दुष्ट के सताए जाने पर सच्ची भावना से प्रभु को पुकारते हैं तो भगवान दौड़े चले आते हैं। भगवान तो भक्त वत्सल हैं जो सदा ही अपने भक्तों के आधीन रहते हैं। अनादि काल से ही जैसे-जैसे धरती पर दानवों ने देवताओं को तंग किया तथा देवताओं ने आहत होकर अपनी रक्षा करने के लिए प्रभु को पुकारा तो भगवान ने सदा ही किसी न किसी रुप में अवतार लेकर उनकी रक्षा की। अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने और हिरण्यकशिपु के आतंक को समाप्त करने के लिए भगवान ने श्री नृसिंह अवतार लिया। जिस दिन भगवान धरती पर अवतरित हुए उस दिन वैशाख मास की चतुर्दशी थी। इसी कारण यह दिन नृसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस बार 4 मई को नृसिंह जयंती का उपवास है।
Narasimha Jayanti vrat vidhi कैसे करें व्रत
इस दिन प्रात: सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि क्रियाओं से निपटकर भगवान विष्णु जी के नृसिंह रूप की विधिवत धूप, दीप, नेवैद्य, पुष्प एवं फलों से पूजा एवं अर्चना करनी चाहिए तथा विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए। सारा दिन उपवास रखें तथा जल भी ग्रहण न करें। सांयकाल को भगवान नृसिंह जी का दूध, दही, गंगाजल, शहद, चीनी के साथ ही गाय के मक्खन अथवा घी आदि से अभिषेक करने के पश्चात चरणामृत लेकर फलाहार करना चाहिए।
क्या है प्रभु का स्वरूप
शास्त्रों के अनुसार श्री नृसिंह जी को भगवान विष्णु जी का अवतार माना जाता है तथा इसमें उनका आधा शरीर नर तथा आधा शरीर सिंह के समान है तभी इस रूप को भगवान विष्णु जी के श्री नृसिंह अवतार के रूप में पूजा जाता है।
Significance of Narasimha Jayanti क्या है व्रत का पुण्य फल
व्रत के प्रभाव से जहां जीव की सभी कामनाओं की पूर्ति हो जाती है, वहीं मनुष्य का तेज और शक्ति बल भी बढ़ता है। जीव को प्रभु की भक्ति भी सहज ही प्राप्त हो जाती है। शत्रुओं पर विजय पाने के लिए यह व्रत करना अति उत्तम फल दायक है तथा इस दिन जप एवं तप करने से जीव को विशेष फल प्राप्त होता है।