Nilgiri Mountains: नीलगिरी पहाड़ियों के बीच बसा कुन्नूर, यात्रियों के दिल में घर कर जाती है यहां की खूबसूरती
punjabkesari.in Wednesday, Sep 04, 2024 - 08:33 AM (IST)
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Nilgiri Mountains: नीलगिरि चाय के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध कुन्नूर तमिलनाडु के पश्चिमी घाट में नीलगिरि पहाड़ियों में स्थित सबसे खूबसूरत हिल स्टेशनों में से एक है। समुद्र तल से 6 हजार फुट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित कुन्नूर प्रसिद्ध और व्यस्त ऊटी से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है।
कुन्नूर में चारों ओर चाय के बागानों, घाटियों, खड्डों और झरनों की सुंदरता बिखरी है। इसके आसपास पश्चिमी घाट की पहाड़ियों में ट्रैकिंग और लम्बी पैदल यात्रा के लिए काफी रास्ते हैं। यह स्थान अपर कुन्नूर और लोअर कुन्नूर के बीच विभाजित है। लोअर कुन्नूर सबसे अधिक पर्यटक भीड़ वाले शहर का केंद्र है जबकि अपर कुन्नूर यातायात और भीड़ से दूर है और उन लोगों के लिए सबसे अच्छा है जो पहाड़ियों के बीच रहना चाहते हैं। ‘बर्ड वॉचिंग’ यानी पक्षियों को निहारने का शौक रखने वालों के लिए भी यह रोमांचक हो सकता है क्योंकि यह हिल स्टेशन पक्षियों का स्वर्ग है।
कुन्नूर का इतिहास
कुन्नूर इस क्षेत्र की मूल निवासी टोडा जनजाति का घर रहा है। ईस्ट इंडिया कम्पनी के जॉन सुलिवन द्वारा खोजे जाने के बाद 19वीं शताब्दी की शुरूआत में बीमार यूरोपीय रोगियों के इलाज के लिए इस जगह को ग्रीष्मकालीन ‘रिट्रीट’ और ‘सेनेटोरियम’ के रूप में स्थापित किया गया था। हिल स्टेशन की यात्रा को आसान बनाने के लिए नीलगिरि माऊंटेन रेलवे की भी स्थापना की गई थी।
आकर्षक स्थलों की कमी नहीं
कुन्नूर में घूमने के लिए कुछ कम ज्ञात लेकिन दिलचस्प स्थान भी हैं। रेशम पालन केंद्र एक प्रसिद्ध संस्थान है जो रेशम पालन पर अनुसंधान करता है और पाश्चर संस्थान के बगल में स्थित है। संस्थान में अक्सर दुनिया भर के रेशम उत्पादन विशेषज्ञ आते हैं। थंडू मरिअम्मन मंदिर एक और महत्व का स्थान है जिसे 500 साल पुराना माना जाता है। यहां आयोजित आरती एक शांतिपूर्ण आभा उत्पन्न करती है और इसमें भाग लेने की सिफारिश की जाती है। लेडी कैनिंग्स सीट एक कम ज्ञात और शायद ही कभी देखी जाने वाली जगह है और केवल स्थानीय लोगों के लिए जानी जाती है। इस स्थान पर आपका मार्गदर्शन करने के लिए आपके पास एक स्थानीय जानकार होना चाहिए। ब्रिटिश भारत के तत्कालीन वायसराय की पत्नी के नाम इसका नाम रखा गया है जो घाटी का विहंगम दृश्य प्रस्तुत करता है।
कुन्नूर में पोमोलॉजिकल स्टेशन 1940 के दशक के अंत में बागवानी विभाग द्वारा स्थापित एक फल अनुसंधान केंद्र है। समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र के कारण, बड़ी संख्या में पक्षियों की स्थानिक और साथ ही कई प्रवासी प्रजातियां पाई जाती हैं। कैटरी फॉल्स जलविद्युत परियोजना के लिए प्रसिद्ध है जो 1000 किलोवाट बिजली पैदा करता है। कुन्नूर में एक प्रसिद्ध चाय फैक्ट्री ग्वेर्नसे टी फैक्ट्री है जिसे हाईफील्ड टी एस्टेट के विकल्प के रूप में भी देखा जा सकता है।
खरीद सकते हैं आभूषण और हस्तशिल्प
चूंकि कुन्नूर में महत्वपूर्ण जनजातीय आबादी रहती है, इसलिए प्रामाणिक जनजातीय आभूषण और हस्तशिल्प यहां प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। ये अपने साथ उपहार में देने के लिए ले जाने के लिए सर्वोत्तम वस्तुएं हैं। यहां स्थित छोटी दुकानें काफी उत्तम कलाकृतियां, प्राचीन वस्तुएं और स्मृति चिन्ह बेचती हैं। कोई भी उपहार देने के लिए हाथ की कढ़ाई वाले शॉल और परिधानों की खरीदारी का विकल्प भी चुना जा सकता है।
स्मृति चिन्ह के अलावा पर्यटक यहां की प्रसिद्ध सुगंधित चाय की खरीदारी भी कर सकते हैं जो कई किस्मों और स्वाद में उपलब्ध है। कोई भी शहद, मसाले और फलों के जैम (शहतूत, आड़ू और नाशपाती), घर का बना चॉकलेट और घर में पके हुए केक जैसी जैविक चीजों की खरीदारी का विकल्प भी चुन सकता है। कुन्नूर में ऐसी दुकानों की भी कमी नहीं है जो लैवेंडर और नीलगिरी के खास तरह के तेल बेचती हैं। कुन्नूर गौडा, कोल्बी, मोंटेरे जैक, चेडर, हलौमी जैसी पनीर की कुछ खास किस्मों के लिए भी प्रसिद्ध है। बेडफोर्ड सर्कल से केवल 100 मीटर की दूरी पर स्थित ‘नीलगिरी स्टोर’ और ‘बेकर्स जंक्शन’ नामक स्थानीय विक्रेताओं से भी पनीर खरीदा जा सकता है।
जो लोग हाथ की कढ़ाई वाली चीजों या कलाकृतियों के प्रशंसक हैं, वे सिंगारा टी एस्टेट के ‘नीडलक्राफ्ट’ में हाथ की कढ़ाई वाले तकिए, चादरें, कुशन कवर और रूमाल का सुंदर संग्रह देख सकते हैं। बेसख इनकी कीमत कुछ अधिक होती है, लेकिन ये इतने सुंदर हैं कि खर्च किए गए पैसे आपको चुभते नहीं।
बेहतरीन गुणवत्ता के स्मृति चिन्ह और जैविक खाद्य पदार्थ मन को लुभाते हैं। हस्तनिर्मित स्थानीय हस्तशिल्प और वस्त्रों के लिए भी यहां कई स्टोर हैं। वे घर में बने शहद और मसालों का भी स्टॉक रखते हैं।
कुन्नूर का खान-पान
यहां बनने वाला एक स्थानीय शैली का बिस्कुट ‘वर्की’ आपको यहां से अपने साथ जरूर ले जाना चाहिए। दरअसल, यह ‘पफ पेस्ट्री’ जैसा होता है।
घूमने का सबसे अच्छा समय
हालांकि कुन्नूर में पूरे साल जाया जा सकता है, लेकिन ठंडी सर्दियों का आनंद लेने के लिए अक्तूबर और मार्च के बीच का समय घूमने के लिए सबसे अच्छा है। अप्रैल से जून के महीने भी काफी सुखद होते हैं और घाटों और चाय बागानों के सबसे सुंदर दृश्य प्रस्तुत करते हैं।
कैसे पहुंचें
निकटतम हवाई अड्डा कोयम्बटूर में लगभग 70 किलोमीटर दूर है। वहां से सड़क मार्ग से कुन्नूर पहुंचने के लिए बस तथा टैक्सी कर सकते हैं। मुदुमलाई टाइगर रिजर्व से गुजरने वाली सर्पीली सड़कों के साथ मार्ग मंत्रमुग्ध कर देने वाला है। निकटतम मुख्य रेलवे स्टेशन मेट्टुपालयम 45 किलोमीटर दूर है। वहां से ट्वॉय ट्रेन से भी जा सकते हैं जो ऊटी तक जाती है और रास्ते में कुन्नूर में रुकती है।