Neem Karoli Baba: नीम करोली बाबा की ये 3 अनमोल सीख, जो भर देंगी आपके घर की खाली तिजोरी
punjabkesari.in Sunday, Jun 01, 2025 - 02:00 PM (IST)

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Neem Karoli Baba: नीम करोली बाबा का जिनका जीवन पूरी तरह से सेवा, प्रेम और भक्ति के सिद्धांतों पर आधारित था। वे हनुमान जी के परम भक्त थे और उनके अनुयायी उन्हें चमत्कारी संत मानते हैं। बाबा के जीवन और शिक्षाएं आज भी लाखों लोगों को मार्गदर्शन देती हैं, विशेष रूप से उन लोगों को जो जीवन में संघर्ष कर रहे हैं चाहे वह आर्थिक हो, मानसिक हो या आध्यात्मिक। इस आर्टिकल में नीम करोली बाबा की तीन ऐसी अनमोल शिक्षाओं की बात करेंगे, जो यदि सही ढंग से समझी और अपनाई जाएं तो जीवन की कठिनाइयां कम हो सकती हैं और घर की खाली तिजोरी भी भर सकती है न केवल पैसों से, बल्कि शांति, संतोष और प्रेम से भी।
सेवा ही सच्ची पूजा है
नीम करोली बाबा का मानना था कि सच्चा धर्म वही है जिसमें दूसरों की सेवा की जाए। वे कहते थे जब हम निःस्वार्थ भाव से किसी की सहायता करते हैं, तो हम सीधे ईश्वर की सेवा कर रहे होते हैं। यह सेवा धन, समय या स्नेह के रूप में हो सकती है। जब हम दूसरों के लिए कुछ करते हैं, तो ब्रह्मांड भी हमारे लिए रास्ते बनाता है। आर्थिक रूप से भी यह सिद्धांत काम करता है जब आप दूसरों की मदद करते हैं, तो आपके भीतर एक सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है जो आपको अधिक अवसरों की ओर आकर्षित करती है। सेवा भाव से किया गया कार्य एक दिन आपको उस स्तर तक पहुंचा सकता है, जहां आपकी तिजोरी केवल पैसों से ही नहीं, बल्कि आशीर्वादों से भी भर जाएगी।
श्रद्धा और सबर
नीम करोली बाबा की दूसरी महत्वपूर्ण सीख है- विश्वास रखो और धैर्य रखो। सब कुछ समय पर मिलेगा। अक्सर हम अपने जीवन की समस्याओं का समाधान तुरंत चाहते हैं, विशेषकर जब बात पैसों की हो। हमजल्दीबाज़ी में निर्णय लेते हैं, जो कई बार नुकसानदायक हो सकते हैं। बाबा सिखाते हैं कि विश्वास और धैर्य ही सबसे बड़े हथियार हैं। जब आप अपने प्रयासों में निरंतरता बनाए रखते हैं और साथ में विश्वास रखते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है, वह आपके हित में है तब ब्रह्मांड भी आपकी सहायता करता है। यह मानसिक संतुलन ही आपको सही निर्णय लेने की क्षमता देता है, जो आर्थिक रूप से भी फायदेमंद होता है।
अहंकार का त्याग और सच्ची विनम्रता
नीम करोली बाबा हमेशा विनम्रता को महत्व देते थे। वे कहते थे अहंकार मनुष्य को गिरा देता है, जबकि विनम्रता उसे उठाती है। कई बार व्यक्ति आर्थिक रूप से संपन्न हो जाता है लेकिन उसका घमंड उसे भीतर से खोखला कर देता है। ऐसा व्यक्ति न तो लंबे समय तक सफलता को संभाल पाता है और न ही अपने रिश्तों को। बाबा मानते थे कि विनम्रता केवल एक गुण नहीं, बल्कि एक शक्ति है। जब आप दूसरों से प्रेम और सम्मान से व्यवहार करते हैं, तो आप एक ऐसा नेटवर्क बनाते हैं जो मुश्किल समय में आपके काम आता है। यह सामाजिक पूंजी आपकी तिजोरी को स्थायी रूप से भरने में मदद करती है क्योंकि यह न केवल धन, बल्कि सहयोग, स्नेह और आत्मिक संतुलन से भरी होती है।