Nashik Tourism: आस्था, अध्यात्म और पर्यटन का संगम है नासिक
punjabkesari.in Tuesday, Oct 28, 2025 - 07:49 AM (IST)
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Nashik Tourism 2025 : नासिक का पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व: नासिक (Nashik) केवल महाराष्ट्र का एक आधुनिक शहर नहीं, बल्कि रामायण काल की पवित्र भूमि भी है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम अपने 14 वर्ष के वनवास के दौरान नासिक के तपोवन में निवास करते थे। यहीं पर लक्ष्मण जी ने रावण की बहन शूर्पणखा की नाक काटी थी। इसी घटना से इस स्थान का नाम नासिक पड़ा, जिसका अर्थ है नाक से संबंधित स्थान।

नासिक वह भूमि है जहां आस्था, इतिहास, अध्यात्म और प्रकृति एक साथ प्रवाहित होते हैं। त्र्यंबकेश्वर की घंटियां, रामकुंड का पवित्र जल और सीता गुफा की शांति हर श्रद्धालु को भगवान श्रीराम के युग से जोड़ देती है।
इतिहासकार प्लोटेमी (Ptolemy) ने भी 150 ईसा पूर्व में नासिक का उल्लेख किया है। यह नगर सातवाहन राजवंश की राजधानी रह चुका है, जबकि मुगल शासन के दौरान इसका नाम गुलशानाबाद पड़ा। बाद में पेशवाओं और अंग्रेजों के अधीन यह एक प्रमुख व्यापारिक और धार्मिक केंद्र बन गया। आज नासिक को “India’s Wine Capital” यानी भारत की अंगूर नगरी कहा जाता है।
प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक त्र्यंबकेश्वर नासिक में स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि यहां दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी पापों का नाश होता है।

रामकुंड
गोदावरी नदी तट पर स्थित रामकुंड वह स्थान है जहां श्रीराम और माता सीता ने स्नान किया था। यहां की जलधारा को मोक्षदायिनी माना जाता है और अस्थि विसर्जन के लिए यह स्थान अत्यंत पवित्र है।
सीता गुफा
यह वही पवित्र स्थल है जहां माता सीता ने स्वर्ण मृग देखा था और यहीं से रावण ने उनका हरण किया था। गुफा के अंदर एक प्राचीन शिवलिंग है जहां माता सीता शिव की पूजा किया करती थीं।
तपोवन
गोदावरी और कपिला नदी के संगम पर स्थित तपोवन में भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और सीता जी तपस्या करते थे। यहां सीता की रसोई और स्नान स्थल आज भी श्रद्धा का केंद्र हैं।
कालाराम मंदिर
काले पत्थरों से निर्मित यह भव्य मंदिर स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण है। यहां भगवान राम, सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां स्थापित हैं। इसका शिखर तांबे से निर्मित और सोने से मढ़ा हुआ है।
पांडवलेनी गुफाएं
त्रिवाष्मी हिल्स पर स्थित ये गुफाएं लगभग 2000 वर्ष पुरानी हैं और बौद्ध वास्तुकला की उत्कृष्ट झलक पेश करती हैं।
दूधसागर झरना
नासिक के सोमेश्वर क्षेत्र में स्थित दूधसागर झरना मानसून के समय पर्यटकों को आकर्षित करता है। सफेद झरने की धाराएं दूध की तरह झरती हैं।
भागुर
वीर सावरकर की जन्मभूमि भागुर, नासिक के गौरव का प्रतीक है। यहां स्थित भागुर देवी मंदिर धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से समान रूप से महत्वपूर्ण है।
यात्रा और मौसम
नासिक की यात्रा के लिए अक्टूबर से फरवरी और जुलाई से सितंबर का समय श्रेष्ठ माना जाता है। गर्मियों में तापमान बढ़ जाता है।
हवाई मार्ग: नासिक एयरपोर्ट
रेल मार्ग: मुंबई, पुणे, नागपुर सहित देश के प्रमुख शहरों से सीधा संपर्क
सड़क मार्ग: राज्य परिवहन (ST) बसें और निजी वाहनों से सुगम यात्रा

