Nandotsav: श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के बाद आज मचेगी ब्रजमंडल में नंदोत्सव की धूम
punjabkesari.in Thursday, Sep 07, 2023 - 12:13 PM (IST)

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Nandotsav: भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया मनाया जाता है और उसी के दूसरे दिन नवमी तिथि को पूरे ब्रजमंडल में नंदोत्सव की धूम देखने को मिलती है। इस नंदोत्सव की धूम पूरे ब्रज को श्री कृष्ण के रंग में रंग देती है। सारे ब्रजवासी आज के दिन को लेकर काफी उत्सुक रहते हैं और बहुत दिन पहले से ही इस दिन की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। जब मथुरा में श्री कृष्ण का जन्म हुआ था, उसके बाद उनके पिता वासुदेव राजा कंस से भयभीत होकर अपने पुत्र को अर्धरात्रि के समय गोकुल छोड़ आए थे। नन्द बाबा के घर लाला का जन्म हुआ है, इस बात की खबर धीरे-धीरे पूरे गोकुल में फैल जाती है और नन्द के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की आवाज चारों तरफ गूंजने लगती है। श्रीकृष्ण जन्म के दूसरे दिन गोकुल में नंदोत्सव पर्व मनाया जाता है।
Dadhikando festival दधिकांदो उत्सव 2023 : इस उत्सव के बारे में शायद ही कुछ लोगों को पता हो लेकिन ये उत्सव ब्रज वालों के लिए एक खास अहमियत रखता है। तो चलिए इस उत्सव को लेकर आपकी शंका दूर करते हैं।
नंदोत्सव का यह पर्व दधिकांदो के रूप में भी मनाया जाता है। दधिकांदो का मतलब है दधि और कंध का मिश्रण। इसका अर्थ यह है कि श्री कृष्ण के जन्म पर हल्दी व केसर से मिली हुई दही के साथ होली खेली जाती है और संध्या काल के समय मंदिरों के पुजारी नन्द बाबा और यशोदा मैया के वेष में बाल गोपाल को पालने में झुलाते हैं। प्रसाद रूप में मिठाई, फल व मेवा पाकर भक्त खुद को बहुत ही भाग्यशाली समझते हैं।
Fair of logs in Sri Ranganatha Temple श्री रंगनाथ मंदिर में लठ्ठे का मेला
मथुरा के वृंदावन में स्थित श्री रंगनाथ मंदिर में जन्माष्टमी के अगले दिन लठ्ठे के मेले का आयोजन किया जाता है। इस मंदिर में मेले की धूम देखने वाली होती है, ऐसा लगता है मानों श्री कृष्ण स्वयं धरती पर आकर भक्तों के साथ इस आयोजन का आनंद उठा रहे हों।
रंगनाथ जी रथ पर विराजमान होकर मंदिर के पश्चिमी द्वार पर आते हैं तो लट्ठे पर चढ़ने वाले पहलवान भगवान रंगनाथ से आशीर्वाद लेकर लठ्ठे पर चढ़ना शुरू करते हैं। लट्ठे पर जब पहलवान चढ़ना आरम्भ करते हैं तो मचान के ऊपर बैठे ग्वाल-बाल तेल और पानी की धार लट्ठे पर गिराते हैं, जिससे पहलवान फिसलकर नीचे गिर जाते हैं। इसी हंसी-ठिठोली के साथ श्रद्धालु इस मेले का आनंद लेते हैं।