Nag Panchami 2020: साल में एक ही दिन खुलता है नाग देवता का ये मंदिर
punjabkesari.in Saturday, Jul 25, 2020 - 03:07 PM (IST)
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Chandraeshwar mandir: मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी कहे जाने वाले उज्जैन में भगवान शिव के कंठ के हार नाग देवता को समर्पित चंद्रेश्वर मंदिर स्थित है। ये एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसके किवाड़ साल में केवल एक ही दिन के लिए खुलते हैं और वो शुभ दिन है नागपंचमी पर्व। भारत के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में मुख्य और विख्यात महाकालेश्वर मंदिर के महाकाय परिसर के ऊपर तीसरे खंड में ये अवस्थित है। 11वीं शताब्दी में र्निमित इस मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती सांप पर बैठे हुए हैं और छतरी के रूप में सांप का फन फैला हुआ है। वहां के स्थानीय लोग बताते हैं कि नागपंचमी के दिन इस प्रतिरूप के साक्षात्कार के उपरांत ही श्रद्धालु साल में एक बार नागचन्द्रेश्वर महादेव का दर्शन करते हैं।
महाकालेश्वर मंदिर तीन खंडों में विभाजित है। पहले तल में भगवान महाकालेश्वर, दूसरे तल में भगवान ओंकारेश्वर और तीसरे तल में भगवान नागचन्द्रेश्वर विराजित हैं।
भगवान शिव से संबंधित धार्मिक स्थल कैलाश मानसरोवर, बाबा बर्फानी, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री आदि ऐसे मंदिर हैं, जो ऊंचे-ऊंचे पर्वतों पर अवस्थित होने के कारण बर्फबारी, ठंड और वर्षा के कारण भक्तों के लिए एक से चार महीने तक ही दर्शनों के लिए खुले रहते हैं। सनातन धर्म सहित अन्य धर्मों में ऐसा कोई भी धार्मिक स्थान नहीं है, जिसके किवाड़ केवल एक दिन के लिए ही खुलते हों।
प्राचीन समय में 60 फुट की ऊंचाई पर बना यह मंदिर एक-एक फुट की सीढ़ियों को पार करने के बाद दर्शन किए जाते थे। यह मार्ग बहुत छोटा था। एक वक्त पर एक ही दर्शनार्थी आ जा सकता था लेकिन हर साल श्रद्धालुओं की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए अन्य लोहे की सीढ़ियों का निर्माण किया गया। जिससे लाखों की सख्यां में भक्त कतारबद्ध होकर मंदिर में दर्शनों का सौभाग्य पाते हैं।
महाकालेश्वर मंदिर के महंतों का कहना है कि नागचन्द्रेश्वर भगवान का श्री रूप नेपाल से यहां लाया गया था। उनके इस रूप के साथ मां लक्ष्मी, मां गौरी और शंकर जी नंदी पर विराजित हैं। यह मंदिर शिखर के पहले तल पर अवस्थित है और नागचन्द्रेश्वर भगवान के साथ इनका भी पूजन नागपंचमी के दिन किया जाता है।