Muni Shri Tarun Sagar: सुमरण से ही सु-मरण होता है
punjabkesari.in Friday, Aug 02, 2024 - 11:49 AM (IST)
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पत्नी और धर्मपत्नी
पत्नी और धर्मपत्नी में अंतर है। जो पतन के मार्ग पर ले जाए वह पत्नी और खुद धर्म के मार्ग पर चले और अपने पति को भी चलाए वह धर्मपत्नी। आचार्य तिरुवल्लुवर ने कहा ‘‘अच्छी पत्नी वह है जो पति की आय से अधिक व्यय नहीं करती तथा भले ही किसी भी देवी-देवताओं को न पूजती हो पर बिछौने से उठते ही पति को पूजती है।’’
अब पूजा जाने वाला पति कैसा होना चाहिए ? निर्णय खुद करें।
मिलावट का दौर
यह मिलावट का दौर है। यहां सिर्फ खाद्य-पदार्थों और औषधियों में ही मिलावट नहीं है अपितु आदर्शों और विचारों में भी मिलावट है। मिलावट का दौर इतना जोरों पर है कि एक आदमी कीड़े मारने की दवा घर लाया। अगले दिन उसने दवा का डिब्बा खोलकर देखा तो कीड़े मारने की दवा में ही कीड़े पड़ गए थे। आज सच्चाई यह है कि खाने के लिए शुद्ध भोजन तो दूर, मरने के लिए असली जहर भी नहीं मिल रहा।
यही है जिंदगी
किसी ने सवाल किया जिंदगी क्या है? मैंने कहा, ‘‘एक आदमी फुटपाथ पर सिगरेट पीता हुआ जा रहा था। पांव के नीचे केले का छिलका आ गया। वह फिसल गया, गिर पड़ा और खत्म हो गया। सिगरेट जल रही थी पर आदमी बुझ गया था। बस यही है जिंदगी।
जिन्दगी वन-डे मैच की तरह है जिसमें रन तो बढ़ रहे हैं पर ओवर घट रहे हैं। मतलब धन तो बढ़ रहा है पर उम्र घट रही है।
प्रार्थना कीजिए
रात सोने से पूर्व एक प्रार्थना जरूर करें और कहें ‘हे प्रभु! अगर तूने कल का सूरज दिखाया तो मैं तेरे दर पर माथा टेकने जरूर आऊंगा और अगर कल का सूरज नहीं दिखाया तो मेरा आखिरी प्रणाम स्वीकार कर।’
इतनी-सी प्रार्थना बोल कर सो जाना। अगर अगले दिन का सूरज देखने मिले तो हर सूरत में प्रभु की मूर्त को जिंदगी की पहली जरूरत समझना और याद रखना : ‘सुमरण से ही सु-मरण होता है।’
स्वयं का मूल्य
जैनाचार्य कुंदकुंद देव की वाणी है कि जीवन में यदि कुछ मूल्यवान है तो वह है स्वयं का मूल्य। स्वयं की सत्ता से बढ़कर और दूसरी कोई सत्ता नहीं है। जो उसे पा लेता है वह सब कुछ पा लेता है और जो उसे खो देता है वह सब कुछ खो देता है। यदि तुमने स्वयं को खो कर सारे जगत का वैभव पा भी लिया तो समझना तुमने बहुत महंगा सौदा किया है।