Muni Shri Tarun Sagar: पसीना बहाएं, पसीने की खाएं
punjabkesari.in Tuesday, Jan 18, 2022 - 01:27 PM (IST)
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शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Muni Shri Tarun Sagar: दुनिया में एक से बढ़कर एक कई महापुरुष हुए। सभी महापुरुषों ने जीना सिखाया लेकिन महावीर ऐसे अकेले महापुरुष हैं जिन्होंने जीने के साथ मरना भी सिखाया। जीना कला है तो मरना भी एक कला है। इस कला को सीखे बगैर जीवन अधूरा है। जन्म और मृत्यु तो जीवन के दो छोर हैं। हम दूसरे छोर को कैसे भूल सकते हैं। मृत्यु अवश्यंभावी है। उससे बचने का कोई उपाय नहीं है। बालक जन्मता है तो कई बातों में संदेह रहता है पर मृत्यु में कोई संदेह नहीं रहता।
एक सेठ बीमार हुआ। सब जगह दिखाया पर कोई लाभ नहीं हुआ। एक अनुभवी वैद्य से मिला। वैद्य ने कहा ठीक तो हो जाओगे लेकिन इलाज जरा कठिन है।
सेठ ने पूछा ‘‘क्या?’’
वैद्य ने कहा, ‘‘इन गोलियों को उस समय खाना है जब पूरे शरीर से पसीना बहने लगे।’’
सेठ ने कहा, ‘‘यह कैसे होगा?’’
वैद्य बोला, ‘‘श्रम करोगे, खूब काम करोगे तो पसीना टपकेगा। तब गोली खा लेना। उस समय वह दवा काम करेगी।’’
सेठ ने वैसा ही किया और ठीक हो गया। पसीना बहाएं, पसीने की खाएं।
शाकाहार सिर्फ आहार नहीं, सेहत भी है। सिर्फ भोजन नहीं, अमृत भी है। भोजन स्वाद के लिए न करें, वरन स्वाद लेकर खाएं।
भोजन खाने के लिए न जिएं, वरन जीने के लिए खाएं। जीभ जो मांगें वह न दें, पेट जो मांगें वह दें।
आज हम अज्ञान खा रहे हैं, असत्य ओढ़ रहे हैं। असंतोष पहन रहे हैं। आईए, हम सच के प्याले में विवेक रखें, उसमें श्रद्धा व विश्वास मिलाएं, आदर की कड़ाही में उत्साह से गर्म करें, विचार की चम्मच से हिलाकर, धैर्य के प्याले में ठंडा करें और संतुष्टि से सजा कर आभार के साथ परोसें।
टकराव टालिए। टकराव बिखराव का कारण है। दीवार से सिर टकराओगे तो क्या होगा? सिर फूटेगा। दीवार हो या आदमी, दोनों से टकराना ठीक नहीं है। तुम सीधे जा रहे हो और बीच में खम्भा आ गया तो अब तुम क्या करोगे ?
चुपचाप घूमकर निकल जाओगे। जीवन में हर एक मोड़ पर सुबह से शाम तक ऐसे दसों लोग मिलेंगे जो तुमसे टकराने के मूड में होंगे लेकिन वे टकराने के लाख प्रयास करें, तुम्हें टकराना नहीं है। चुपचाप आगे बढ़ जाना है। टकराव में जोखिम है। टकराव टालिए, टकराव में बिखराव है।
- मुनि श्री तरुण सागर जी