Muni Shri Tarun Sagar- कड़वे प्रवचन...लेकिन सच्चे बोल

punjabkesari.in Tuesday, Sep 07, 2021 - 01:09 PM (IST)

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प्रवचन के श्रोता
मैं शुरू के दस साल बहुत मीठा बोला, मगर उस बोलने का असर यह होता कि लोग सोते थे। उस समय मुझे सुनने के लिए इस तरह हजार लोग नहीं आते थे। मुश्किल से 25-50 लोग होते थे। जिनको बहू घर पर नहीं टिकने देती और बेटा दुकान पर नहीं चढऩे देता था, वे आते और कथा में सोते। मुझे बहुत बुरा लगता। मैं पूछता ‘‘सेठ जी! सो रहे हो क्या?’’ 

सेठ जी कहते, ‘‘नहीं तो।’’ 

मैं झूठा पड़ता। फिर मैं पूछता, ‘‘सेठ जी जाग रहे हो क्या?’’

वह कहते ‘‘नहीं तो।’’ 

तब दूध का दूध और पानी का पानी होता।

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मेरी मजबूरी
मीडिया के लोग मुझसे अक्सर पूछते हैं कि आपकी खुशनसीबी क्या है? मैं कहता हूं कि मैं इतना कड़वा बोलता हूं फिर भी लोग मुझे सुनते हैं। वर्ना जमाना तो ऐसा है कि बेटा भी बाप की कड़वी बात सुनना पसंद नहीं करता। 

मैं कड़वा बोलता हूं लेकिन कड़वा बोलना मेरा शौक नहीं, मजबूरी है क्योंकि मैं मीठा बोलता हूं तो लोगों को लगता है कि मैं उन्हें सुलाने के लिए लोरी गा रहा हूं। आजकल मैंने मीठा बोलना बंद कर दिया है। कड़वा बोलता हूं, ‘कड़वे प्रवचन’ देता हूं।

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सबसे बड़ा गधा
पति ने अपनी पत्नी से कहा, ‘‘तुम हमारे मुन्ने को समझाती क्यों नहीं हो? कब से वह वह गधे पर बैठने की जिद कर रहा है।’’ 

पत्नी ने कहा, ‘‘तो क्या हुआ? तुम उसे कंधे पर बैठा क्यों नहीं लेते?’’

पता नहीं आप इसका मतलब क्या समझ रहे हैं लेकिन एक बात तो तय है कि आदमी गलतफहमी में जी रहा है और गलतफहमी में जीने वाला सबसे बड़ा गधा है।   

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Content Writer

Niyati Bhandari

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