Muni Shri Tarun Sagar- चिंता जिंदा आदमी के रेशे-रेशे को जलाती है

punjabkesari.in Tuesday, Jul 06, 2021 - 11:31 AM (IST)

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समय का सदुपयोग करें
समय बड़ा कीमती है। इसे कोई नहीं खरीद सकता। समय धन है। यह बिल्कुल सही है लेकिन क्या हम समय का उतना सम्मान करते हैं जितना पैसे का करते हैं? कुछ लोग मिनटों को बचाने के लिए घंटे नष्ट कर देते हैं और कुछ लोग पैसों को बचाने के लिए जिंदगी को खत्म कर देते हैं- इन्हें आप क्या कहेंगे? कुछ अच्छा करने को कहो तो लोग कहते हैं- क्या करें, समय नहीं मिलता। मैं कहता हूं-समय मिलेगा नहीं, समय में से समय निकालना पड़ता है।

‘आशावान बनो’
जीवन को आशा की दृष्टि से देखो। निराशा की आदत छोड़ दो। हर अंधेरी रात में चमकते हुए तारे और हर काले बादल में चमकती हुई बिजली का गोटा जड़ा है।

गुलाब की झाड़ी में कांटे मत गिनो, फूल गिनो, क्योंकि जो व्यक्ति अपने जीवन में केवल कांटे गिनने में रह जाते हैं उनके लिए फूल भी कांटे हो जाते हैं। संसार में सुख से अधिक दुख, स्वर्ग से अधिक नरक है। ज्ञानी तो वह है जो दुख में सुख और नरक में स्वर्ग खोज लेता है।

चिंतन से दूर करें चिंता
चिंता और मक्खी एक जैसी होती है। इन दोनों को जितना उड़ाएंगे, उतनी ही ज्यादा परेशान करेंगी। चिंता का भूत जिसके पीछे पड़ जाता है वह जीते जी मर जाता है। चिता तो सिर्फ मुर्दे को जलाती है पर चिंता जिंदा आदमी को रेशे-रेशे जलाती रहती है। चिंता का समाधान सिर्फ चिंतन है। चिंतन के चंदन का लेप करेंगे तभी चिंता का दाह दूर होगा।

भय का भूत
भय से बचें। भय का भूत सबसे बड़ा भूत है। रात के समय किचन में जाकर पानी पीने से डर लगता है क्योंकि हमें लगता है कि वहां कोई (भूत) है ऐसे समय में सोचना, ‘‘अरे! जो वहां है, वह यहां भी तो आ सकता है।’’

फिर डर क्यों? डर के कारण हम रोज मरते हैं। शपथ खाओ मैं मरने से पहले नहीं मरूंगा और जिंदगी में सिर्फ एक बार ही मरूंगा।


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Content Writer

Niyati Bhandari

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