यहां किया था देवी ने मुंड का नाश, आज भी देखने को मिलते हैं अद्भुत चमत्कार

punjabkesari.in Thursday, Sep 26, 2019 - 03:27 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हमारे देश में ऐसी जगहें जिनका संबंध हिंदू धर्म के देवी-देवताओं से है। इन जगहों का इतिहास न केवल लोक मान्यताओं पर आधारित हैं बल्कि हमारे हिंदू धर्म के पौराणिक शास्त्रों व ग्रंथों में इसका वर्णन पढ़ने को मिलता है। आज हम ऐसे ही एक शहर से जुड़ा रहस्य आपके लिए लाएं हैं। बिहार जिसका जिक्र हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथ रामायण से लेकर महाभारत तक मिलता है। प्राचीन काल से है बिहार को एक समृद्ध संस्कृति वाला राज्य माना जाता है। बताया जाता है बिहार में कई धर्मों का जन्म भी हुआ है इसके साथ ही कई देवी-देवताओं के चमत्कारी मंदिर भी हैं, जिनका उल्लेख ग्रंथों में भी मिलता है। आज हम आपको बिहार के एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका संबंध मार्केण्डेय पुराण से है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक मां काली ने शुंभ-निशुंभ के सेनापति चंड और मुंड का वध यहीं पर किया था। इसके अलावा मंदिर में एक शिवलिंग भी स्थापित है जिसका समय पर समय पर रंग बदलता है। बता दें ये अद्भुत मंदिर बिहार के कैमूर जिले में स्थित है, जिसे माता मुंडेश्वरी मंदिर के नाम से जाना जाता है।
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कैमूर पर्वत की पवरा पहाड़ी पर 608 फीट ऊंचाई पर स्थित भारत के प्राचीन मंदिरों में एक कहलामे वाले माता मुंडेश्वरी मंदिर देश के साथ-साथ विदेशों में भी प्रसिद्ध है। देवी के अन्य शक्तिपीठों की तरह देवी के इस स्थान पर भी बलि दी जाती है मगर यहां बलि देने की प्रक्रिया थोड़ी अलग है।

बताया जाता है यहां सात्विक परंपरा के अनुसार बालि दी जाती है। बलि में बकरा चढ़ाया जाता है लेकिन उसे मारा नहीं जाता। कहा जाता है कि जो भी यहां सच्चे मन से मां की उपासना करता है, उसे मां मुंडेश्वरी ज़रूर पूरी करती हैं।
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यहां होते हैं अद्भुत चमत्कार-
कहा जाता है यहां पर बलि के लिए बकरे को लाकर मां के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है, तब मंदिर का पुजारी मां की प्रतिमा को स्पर्श कर चावल बकरे पर फेंकता है तो उसी क्षण बकरा मृतप्राय सा हो जाता है। इसके बाद फिर से उस अक्षत फेंका जाता है, तब बकरा उठ खड़ा होता है। इसके बाद बकरे को छोड़ दिया जाता है।

यहां हुआ था मुंड का वध-
कथाओं के अनुसार, चण्ड-मुण्ड नाम के असुर का वध करने के लिए देवी यहां आई थी। चण्ड के वध हो जाने के बाद मुण्ड यहीं पर पहाड़ी में छिप गया। जिसके बाद माता ने यहीं मुण्ड का वध किया। यही कारण है कि देवी माता यहां मुण्डेशवरी के नाम प्रसिद्ध हैं।
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शिवलिंग बदलता है रंग-
मां मुण्डेशवरी मंदिर में भगवान शिव का एक पंचमुखी शिवलिंग है जो दिन में तीन बार रंग बदलता है। यह शिवलिंग सुबह, दोपहर और शाम को अलग-अलग रंग का दिखाई देता है।


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Jyoti

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