सोने की अशर्फियां देख भी नहीं डोला डाकू का इमान

punjabkesari.in Saturday, Jul 13, 2019 - 04:09 PM (IST)

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यह घटना उस समय की है जब ईरान के जाने-माने संत फजल ऐयाज डाकुओं के सरदार थे। एक बार उनके गिरोह ने व्यापारियों के एक काफिले को घेर लिया और लूटपाट शुरू की। इस आपाधापी में एक व्यापारी डाकुओं से बचने के लिए छुपता-छुपाता एक तंबू में घुस गया। वहां फजल ऐयाज फकीर वेश में बैठे हुए थे। उन्हें देखकर उसने राहत महसूस की और अशर्फियां से भरी थैली फजल के सामने रखते हुए बोला, ‘‘गुरु जी, बाहर डाकुओं ने आतंक मचाया हुआ है। कृपया मेरी यह थैली आप रख लीजिए। आपके पास यह सुरक्षित रहेगी। यह मेरे जीवन भर की कमाई है। जब लूटपाट खत्म हो जाएगी तब मैं यह थैली ले जाऊंगा।’’  
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इसके बाद वहां से निकल गया। कुछ समय बाद जब लूटपाट खत्म हो गई तो वह उसी तंबू में लौटा और यह देखकर वह दंग रह गया कि वहां डाकू व्यापारियों से लूटे हुए माल को आपस में बांट रहे हैं। उसे अपनी गलती का एहसास हो गया। मन ही मन पछताते हुए वह वहां से लौट ही रहा था कि फकीर की आवाज आई, ‘‘ऐ मुसाफिर! क्यों लौट चला?’’

व्यापारी घबराते हुए बोला, ‘‘हजूर, मैं यहां अपना थैला लेने आया था, पर अब जा रहा हूं।’’
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फकीर के वेश में बैठे डाकुओं के सरदार फजल ऐयाज ने कहा, ‘‘अपनी धरोहर तो लेते जाओ।’’ डरते-डरते व्यापारी आगे बढ़ा और थैली उठा ली। फिर वह तेजी से वहां से निकल गया।

अब तक हैरत से यह सब देख रहे डाकुओं से रहा नहीं गया। उनमें से एक ने पूछा, ‘‘हजूर यह क्या? आया हुआ माल आपने उस व्यापारी को वापस ले जाने दिया?’’

इस पर सरदार फजल बोले, ‘‘हम लूटपाट करते हैं लेकिन उस व्यापारी को हमने लूटा नहीं था। वह खुद सच्चे मन से विश्वास कर थैली मेरे पास रख गया था। धन तो मैं लूट सकता था लेकिन उसके विश्वास को कैसे तोड़ता?’’
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Jyoti

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