Motivational Story: भेड़िया या हंस? संगति तय करती है आपकी दिशा

punjabkesari.in Monday, Sep 15, 2025 - 03:59 PM (IST)

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Motivational Story: संगति का प्रभाव सभी पर जरूर पड़ता है। कुसंगति में पड़ने से मन में कुविचार पैदा होते हैं, जिससे शरीर के अंग भी गलत क्रिया करने लगते है। फलस्वरूप मानव शरीर निरर्थक हो जाता है और जन्म-जन्मांतरों तक दुख तथा पीड़ा पाते रहने का कारण बन जाता है। भले ही व्यक्ति भयानक से भयानक स्थान पर चला जाए, भयंकर से भंयकर शक्तिशाली अथवा विषधर प्राणियों के बीच में रह ले, किंतु कुसंग में कभी भूलकर भी न रहे। दुष्ट का साथ किसी भी स्थिति में विनाश से कम नहीं होता।

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कीचड़ का साथ सुगंध को मिटा देता है, दुष्ट का सहवास सदाचार का विनाश करता है, पापी का सहवास सम्मान घटाता है, मूर्ख का संपर्क बुद्धि का नाश करता है और इसी प्रकार बुरे तथा दुष्ट प्रकृति के लोगों का संग जीवन में पतन सुनिश्चित करता है। भेड़िए के साथ रहने से मनुष्य उसकी तरह क्रूर तथा निर्दयी बन जाता है। कुत्ता मानव के संग से उसके जैसा समझदार तथा बुद्धिमान बन जाता है।

सज्जन की संगति से महान बनने में आश्चर्य की बात नहीं है। गंदी नाली का पानी गंगा में मिलने से पवित्र बनता है और पारस पत्थर की संगत से लोहा सोना बन जाता है। भगवान महावीर के समागम से अर्जुन माली, भगवान बुद्ध की संगति से अंगुलिमाल और केशी कुमार श्रमण के संपर्क से राजा परदेसी सुधर गए थे। सत्संग से दुर्जन तथा दुष्ट व्यक्ति में सज्जनता आ जाती है। पंडित कुल में जन्म लेने से कोई पंडित नहीं बनता, क्षत्रिय कुल में उत्पन्न होने से ही कोई वीर नहीं बन जाता। संगति से ही सब कुछ होता है।

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संगति के द्वारा ही गुणों तथा दोषों का उद्गम होता है। सत्संगति बुद्धि की जड़ता को दूर करती है, वाणी में सत्य का संचार करती है, सम्मान बढ़ाती है, पाप को दूर करती है, चित्त को आनंदित करती है तथा सभी दिशाओं मे कीरत फैलाती है।

भगवान में आसक्त होकर रहने वालों का क्षणभर के लिए भी संग मिल जाए तो उससे स्वर्ग तथा मोक्ष की तुलना नहीं की जा सकती, फिर अन्य इच्छित तथा अभिलाषा किए पदार्थों की तो बात ही कुछ नहीं है। सज्जनों का निवास स्वर्ग बनाता है और दुर्जन नरक का निर्माण करते हैं। सज्जन दुर्जनों के साथ नहीं रहते, जैसे हंस श्मशान में नहीं रहता

कुसंग से लोक में प्रतिष्ठा की हानि होती है, भले ही दुर्गुणों को न अपनाया जाए। सदा दुर्जनों की संगति में रहने से आत्मा पतित तथा बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। रस्सी से पत्थर की शिला पर निशान पड़ जाते हैं और मनुष्य का हृदय तो पत्थर की अपेक्षा अत्यंत कोमल होता है, जिससे उस पर प्रभाव का होना स्वाभाविक है  इसलिए कुसंग छोड़कर सज्जनों की संगति करें।

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Content Editor

Sarita Thapa

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