Motivational Concept: अपमान किए जाने पर दुखी न हों

punjabkesari.in Friday, Oct 21, 2022 - 11:10 AM (IST)

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घटना आजादी के पूर्व की है। लाहौर का एक व्यक्ति दिल्ली के सरकारी ऑफिस में कर्मचारी था। वह उसे लाहौर से दिल्ली अपने साथ ले आया। दिल्ली में वह उसे चीफ इंजीनियर के ऑफिस में लेकर पहुंचा। उसे वहां बिठाकर स्वयं बाहर चला गया।  शिष्टाचार से अनजान वह युवक चीफ इंजीनियर की कुर्सी पर बैठ गया। 

जब थोड़ी देर बाद चीफ इंजीनियर आया तो अपनी कुर्सी पर किसी और को बैठे देख क्रोध से भड़क गया। गालियां देते हुए कहने लगा-तेरी हिम्मत कैसे हुई जो तू मेरी कुर्सी पर बैठ गया। कौन है तू? सर! मैं लाहौर से इंजीनियर बनने आया हूं, उस युवक ने कहा। पद के नशे में चूर चीफ इंजीनियर ने उसे धक्का मारकर बाहर निकाल दिया। उस युवक ने निराश या अपमान से दुखी होने की बजाय दृढ़ संकल्प किया कि एक दिन मैं चीफ इंजीनियर बनकर इसी कुर्सी पर अवश्य  बैठूंगा।

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संकल्प के अनुसार कड़ी मेहनत करते हुए उसने यूनिवॢसटी टॉप किया और एक दिन चीफ इंजीनियर बन गया, किन्तु आश्चर्य तब हुआ जब उसको पोसिं्टग वहीं पर मिली जहां उसने अपमान का घूंट पीकर इंजीनियर बनने का संकल्प लिया था। वह अपना पदभार ग्रहण करने ऑफिस पहुंचा। उसने मुस्कुराते हुए पूछा-आपने मुझे पहचाना? मैं वही लड़का हूं जिसे गालियां देते हुए आपने धक्का मारकर ऑफिस से बाहर निकाल दिया था। वह युवक था ‘गंगाराम’ जिसे ब्रिटिश सरकार के ऑफिसर भी ‘‘सर गंगाराम’’ कहकर पुकारते थे।
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Content Writer

Jyoti

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