Motivational Concept- ईश्वर की खोज

punjabkesari.in Sunday, Sep 18, 2022 - 11:38 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

एक बार संत नामदेव शिष्यों को ज्ञान-भक्ति का प्रवचन दे रहे थे। तभी श्रोताओं में बैठे किसी शिष्य ने एक प्रश्र किया, ‘‘गुरुवर, हमें बताया जाता है कि ईश्वर हर जगह मौजूद है। यदि ऐसा है तो वह हमें कभी दिखाई क्यों नहीं देता? हम कैसे मान लें कि वह सचमुच है। और यदि वह है तो हम उसे कैसे प्राप्त कर सकते हैं।’’
नामदेव ने शिष्य को एक लोटा पानी और थोड़ा-सा नमक लाने का आदेश दिया। शिष्य तुरन्त दोनों चीजें लेकर आ गया। नामदेव ने पुन: उस शिष्य से कहा, ‘‘पुत्र, तुम नमक को लोटे में डाल कर मिला दो।’’ शिष्य ने ठीक वैसा ही किया।
संत बोले, ‘‘बताइए, क्या इस पानी में किसी को नमक दिखाई दे रहा है?’’ सब ने ‘नहीं’ में सिर हिला दिए। ‘‘ठीक है! अब कोई जरा इसे चख कर देखे कि क्या चखने पर नमक का स्वाद आ रहा है,’’ संत ने पूछा। ‘जी’, एक शिष्य पानी चखते हुए बोला। ‘अच्छा, अब जरा इस पानी को कुछ देर उबालो।’ संत के निर्देशानुसार शिष्य ने ऐसा ही किया।

1100 रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर वाट्स ऐप करें

कुछ देर तक पानी उबलता रहा और जब सारा पानी भाप बन कर उड़ गया तो संत ने पुन: शिष्यों को लोटे में देखने को कहा और पूछा, ‘‘क्या अब आपको इसमें कुछ दिखाई दे रहा है?’’ ‘जी, हमें नमक के कण दिख रहे हैं,’ एक शिष्य बोला। 
संत समझाते हुए बोले, ‘‘जिस प्रकार तुम पानी में नमक का स्वाद तो अनुभव कर पाए, पर उसे देख नहीं पाए। उसी प्रकार इस जग में तुम्हें ईश्वर हर जगह दिखाई नहीं देता, पर तुम उसे अनुभव कर सकते हो। जिस तरह अग्रि के ताप से पानी भाप बनकर उड़ गया और नमक दिखाई देने लगा, उसी प्रकार तुम भक्ति, ध्यान और सत्कर्म द्वारा अपने विकारों का अंत कर भगवान को प्राप्त कर सकते हो।’’

PunjabKesari kundlitv


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Jyoti

Recommended News

Related News