Motivational Concept: कभी न करें अपने पद और घमंड का अंहकार
punjabkesari.in Friday, Apr 16, 2021 - 12:25 PM (IST)
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संत च्वांगत्सु अंधेरी रात में मरघट से गुजर रहे ते। वह मरघट शाही खानदान का था। अचानक उनका पैर एक आदमी की खोपड़ी पर लग गया। च्वांगत्सु घबरा गए। उन्होंने वह खोपड़ी उठाई और घर लाकर उसके आगे हाथ-पांव जोडऩे लगे कि मुझे क्षमा कर दो। उनके मित्र इकट्ठे हो गए और कहने लगे, ‘‘पागल हो गए हो, इस खोपड़ी से क्षमा मांगते हो...?’’
चीनी फकीर ने उत्तर दिया, ‘‘यह बड़े आदमी की खोपड़ी है। यह सिंहासन पर बैठ चुकी है। मैं क्षमा इसलिए मांगता हूं क्योंकि यह आदमी आज जीवित होता और मेरा पैर उसके सिर पर लग जाता तो पता नहीं मेरी क्या हालत बनाता? यह तो सौभाग्य है, यह आदमी जीवित नहीं है, लेकिन क्षमा मांग ही लेनी चाहिए।’’
मित्रों ने कहा, ‘‘तुम बड़े पागल हो।’’ च्वांगत्सु ने कहा, ‘‘मैं पागल नहीं हूं। मैं तो इस मरे हुए आदमी से कहना चाहता हूं कि जिस खोपड़ी को तू सोचता था, सिंहासन पर बैठी है वही लोगों की, एक फकीर की ठोकर खा रही है और ‘उफ’ भी नहीं कर सकती। कहां गया तेरा सिंहासन? कहां गया तेरा अहंकार। च्वांगत्सु का संदेश यह था कि आदमी को कभी भी पद और नाम का घमंड नहीं करना चाहिए।’’