प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर ‘मयानी पक्षी अभयारण्य’
punjabkesari.in Wednesday, Sep 07, 2022 - 11:58 AM (IST)
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मयानी पक्षी अभयारण्य भारत के प्रसिद्ध पक्षी अभयारण्यों में से एक है। यह महाराष्ट्र के सतारा से करीब 65 कि.मी. की दूरी पर स्थित है, जोकि सात पहाड़ियों के इर्द-गिर्द बसा है। यह अभयारण्य निसर्ग प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। सर्दियों में सालाना प्रवासी पक्षियों की कई प्रजातियां यहां वास करती हैं। यहां हम ब्रह्मिनी बत्तख, ब्लैक बीस, राजहंस, पेंटेड स्टोक्र्स जैसे कई प्रजाति के पक्षी देख सकते हैं। प्रकृति की गोद में बिताए गए इन सुनहरे पलों की यादें निश्चित तौर पर आपकी छुट्टियों को यादगार बना देंगी। लगभग 10,500 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में फैले सतारा के उत्तर में पुणे, दक्षिण में सांगली, पूर्व में सोलापुर और पश्चिम में रत्नागिरी जिले हैं, अर्थात यदि हम मयानी पक्षी अभयारण्य में प्रकृति की सुंदरता का आनंद उठाने की योजना बनाते हैं तो वहां से आसपास बसे अन्य जिलों के नजदीकी पर्यटन केंद्रों पर जाकर पर्यटन का आनंद उठा सकते हैं। जैसे सांगली का सागरेश्वर वन्य जीव अभयारण्य, दानडोवा हिल स्टेशन आदि हैं। इसी तरह पुणे, सोलापुर और रत्नागिरी में दर्जनों स्थान हैं, जहां वर्ष भर पर्यटकों का तांता लगा रहता है।वैसे मयानी पक्षी अभयारण्य के इर्द-गिर्द सतारा में जरंदेश्वर, यवतेश्वर, कित्लिचा डोंगर, पैदयाचा बैरोबा और नक्दिचा डोंगर आदि कई जगहें हैं, जो पर्यटकों को बेहद पसंद आती हैं। अत: यदि आप मयानी पक्षी अभयारण्य जाते हैं तो इन जगहों पर जाना न भूलें।
कौस झील और कौस पठार
यह सतारा का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। इसे ‘प्लेच्यू ऑफ फ्लावर्स’ (फूले का पठार) के नाम से भी जाना जाता है। इसकी हरियाली मन को मोहित करती है। यह सतारा से 22 कि.मी. दूर है। कौस झील इस पूरे क्षेत्र के लिए पीने के पानी का प्रमुख स्रोत है। इसका निर्माण 1844 में हुआ था। यह कुल 3500 फुट की ऊंचाई पर है। यहां से हम वन्यजीव अभयारण्य देख सकते हैं, जहां 400 से भी ज्यादा प्रकार के पौधे और जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं।
थोसघार झरना
यह सतारा से 35 कि.मी. की दूरी पर है। मानसून में यह झरना पानी से लबालब रहता है, जो यहां के सैलानियों को बहुत आकर्षित करता है। इसकी सुंदरता मन मोह लेती है।
सज्जनगढ़ किला
सज्जनगढ़ और वासोटा किलों का निर्माण मराठा शैली में किया गया है। इसे पहले अस्वल्यानगढ़ या अस्वलगढ़ के नाम से जाना जाता था। यह 10वीं सदी में बनाया गया था। यह सतारा से 9 कि.मी. की दूरी पर है। यह 312 मीटर ऊंचा और 1,525 वर्ग मीटर क्षेत्र फैला है। यहां छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु श्री समर्थ रामदास स्वामी समाधि में लीन हुए। इस किले के पास दो झीलें हैं। रामनवमी के त्यौहार पर इस किले के आसपास की जगह को बहुत सुंदर तरीके से सजाया जाता है।
अजिंक्यतारा किला
यह किला अजिंक्यतारा पहाड़ी पर स्थित है। इसका निर्माण शिलर राजवंश के राजा, राजा भोज ने किया था। यह 3000 फुट की ऊंचाई पर और समुद्र तल से 1006 मीटर की ऊंचाई पर है। यह सांगली जिले में है। इसे ‘सप्त ऋषि’ किले के नाम से भी जाना जाता है। इसके भीतर मन को मोहित करने वाला मंगलाई देवी का मंदिर है। यह किला 1857 के शहीदों की याद में बनाया गया है। इस किले को हम यातेश्वर पहाड़ी से भी देख सकते हैं, जोकि यहां से 5 किलोमीटर की दूरी पर है। इस किले की चोटी से हम पूरे सतारा शहर का नजारा देख सकते हैं।
कोयना बांध
कोयना बांध का निर्माण 1863 में हुआ था। यह सांगली जिले की कोयना नदी पर बना है। यह महाराष्ट्र का सबसे बड़ा बांध है। इसकी पानी की क्षमता 1,878 टी.एम.सी. और यह 1920 मैगावाट बिजली उत्पादन करता है। कोयना बांध और नेहरू बाग परिवार के साथ शाम बिताने के लिए खूबसूरत जगहें हैं।
मानसून में मस्त
वैसे तो मयानी पक्षी अभयारण्य व आसपास के पर्यटन केंद्रों पर सालभर में कभी भी जाया जा सकता है, लेकिन यहां आने का सबसे बेहतर समय मानसून है, जोकि जून से लेकर अक्तूबर तक रहता है। इस दौरान यहां सामान्य से लेकर भारी वर्षा होती है। इससे यहां चारों ओर हरियाली छाई रहती है। नवम्बर से फरवरी तक सॢदयों में भी यहां जाया जा सकता है, लेकिन तब अपने साथ कुछ गर्म कपड़े जरूर ले जाएं, क्योंकि इस मौसम में यहां सर्दी बहुत होती है। तापमान 15 डिग्री से लेकर 31 डिग्री तक रहता है, जबकि गर्मियों में यहां कम सैलानी आते हैं। खासकर अप्रैल-मई महीने में यहां पारा 27 डिग्री से लेकर 35 डिग्री तक रहता है। दिन के समय यह 40 डिग्री भी हो जाता है।
ऐसे पहुंचें
सतारा से पुणे से 120 कि.मी. और मुम्बई से 270 कि.मी. की दूरी पर है, जोकि सड़क, रेलवे और वायु मार्ग द्वारा कई प्रमुख शहरों से सीधे जुड़ा हुआ है।