Mauni Amavasya: विचार करें, मौनी अमावस्या पर क्या सच में शब्दों से मौन रहने का महत्व है
punjabkesari.in Tuesday, Jan 28, 2025 - 02:00 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या एक विशेष तिथि है जो भारतीय पंचांग के अनुसार अमावस्या के दिन आती है और इसका विशेष महत्व हिन्दू धर्म में है। इस दिन को साधना, तपस्या और मौन व्रत रखने का दिन माना जाता है। यह दिन खास तौर पर आत्मिक उन्नति, मानसिक शांति और आत्म-संयम के लिए उपयुक्त होता है। मौनी अमावस्या का महत्व सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक शांति पाने के संदर्भ में भी बहुत गहरा होता है। यह दिन आत्मा के साथ एकाकार होने और जीवन की व्यस्तताओं से बाहर निकलकर अंदर की ओर देखने का अवसर देता है। मौनी अमावस्या के बारे में कुछ खास जानें:
मौन का आध्यात्मिक महत्व:
मौनी अमावस्या पर लोग मौन व्रत रखते हैं, जिसका अर्थ है चुप रहना। यह मौन न केवल शब्दों से, बल्कि विचारों और भावनाओं से भी होता है। मौन को आत्मा की शांति और मानसिक नियंत्रण के रूप में देखा जाता है। इस दिन व्यक्ति अपने मन और विचारों को शांत करने की कोशिश करता है ताकि वह अपनी आत्मा के साथ गहरी साक्षात्कार कर सके। यह एक प्रकार की मानसिक सफाई होती है।
तपस्या और साधना:
मौनी अमावस्या का दिन विशेष रूप से तपस्वियों और साधकों के लिए होता है। इसे विशेष रूप से ऋषि-मुनियों और सन्यासियों द्वारा ध्यान, साधना और उपवास के लिए प्रयोग किया जाता है। इस दिन साधक गहरी तपस्या करते हैं, ताकि वे आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त कर सकें और अपने आत्मा से जुड़ सकें।
गंगा स्नान और पुण्य कार्य:
यह दिन गंगा नदी में स्नान करने के लिए भी बहुत शुभ माना जाता है। कई लोग इस दिन गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करते हैं ताकि वे अपने पापों से मुक्ति पा सकें और पुण्य अर्जित कर सकें। यह स्नान मानसिक शांति और आत्म-निर्माण की ओर एक कदम होता है।
धार्मिक अनुष्ठान:
मौनी अमावस्या के दिन विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं। लोग इस दिन विशेष रूप से शिव पूजा, गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं। यह दिन प्राचीन हिन्दू परंपराओं के अनुसार खास अवसर होता है, जब लोग अपने भीतर के अस्तित्व को जागृत करने के लिए ध्यान और पूजा करते हैं।
आध्यात्मिक संतुलन:
मौनी अमावस्या का दिन न केवल मानसिक और शारीरिक रूप से, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी संतुलन लाने का दिन होता है। इस दिन मौन व्रत और साधना करने से व्यक्ति अपनी आत्मा के गहरे सत्य को समझने का प्रयास करता है। यह दिन आत्मज्ञान प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण अवसर माना जाता है।