Kundli Tv- मत्स्य द्वादशी- 19 दिसंबर को मछली को खिलाएं ये चीज़
punjabkesari.in Tuesday, Dec 18, 2018 - 05:03 PM (IST)
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19 दिसंबर दिन बुधवार को मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी के बाद मत्स्य द्वादशी का पर्व मनाया जाएगा। बता दें मत्स्य अवतार श्रीहरि के प्रमुख अवतारों में एक है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन श्रीहरि ने मछली के रूप में अवतार लिया था। कहा जाता है कि श्री हरि विष्णु ने मत्स्य रूप धारण कर दैत्य हयग्रीव का वध कर वेदों की रक्षा की थी। जिस कारण मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की द्वादशी को भगवान विष्णु जी के मत्स्य अवतार की पूजा-आराधना करना बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन विष्णु जी की उपासना से सारे संकट दूर हो जाते हैं।
मत्स्य अवतार की कथा-
सनातन धर्म के धार्मिक ग्रंथों के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी की असावधानी से दैत्य हयग्रीव ने वेदों को चुरा लिया। हयग्रीव द्वारा वेदों को चुरा लेने के कारण ज्ञान लुप्त हो गया। समस्त लोक में अज्ञानता का अंधकार फैल गया। तब भगवान विष्णु जी ने धर्म की रक्षा के लिए मत्स्य अवतार धारण कर दैत्य हयग्रीव का वध किया और वेदों की रक्षा की और ब्रह्मा जी को वेद सौंपें।
महत्व-
ज्योतिष शास्त्र की मानें तो सृष्टि का आरंभ जल से हुआ है और वर्तमान काल में भी जल ही जीवन है। अतः मत्स्य द्वादशी का विशेष महत्व है। भगवान विष्णु जी के 12 अवतार में प्रथम अवतार मत्स्य अवतार है जिस कारण मत्स्य द्वादशी बहुत शुभ मानी जाती है। मत्स्य द्वादशी के दिन भगवान श्री विष्णु जी भक्तों के संकट दूर करते हैं तथा उनके सब कार्य सिद्ध करते हैं।
पूजा विधि-
इस दिन प्रातः काल उठकर स्नान-ध्यान से निवृत हो जाएं। फिर इसके बाद इस दिन इनके नाम से उपवास रख पूजा-अर्चना करें। इसके साथ ही मत्स्य द्वादशी के दिन जलाशय या नदियों में मछली को चारा भी ज़रूर डालें।
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