अजब-गजब: बहुत अनूठे हैं मैंग्रोव वन
punjabkesari.in Friday, Jan 31, 2025 - 02:47 PM (IST)
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Mangrove Forests: जलवायु परिवर्तन की सबसे अधिक मार समुद्रों पर पड़ रही है। बढ़ते समुद्री जलस्तर से दुनिया के कई इलाकों पर जलमग्न होने का खतरा मंडरा रहा है। यह खतरा इसलिए और बढ़ गया है क्योंकि जल और थल के बीच प्राकृतिक रक्षा कवच की भूमिका निभाने वाले मैंग्रोव वनों की सुरक्षा संकट में है। मैंग्रोव वनों के अस्तित्व पर आ रहे इस संकट की बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान ने व्यापक पड़ताल की है। संस्थान के वैज्ञानिकों ने 6000 वर्ष पुरानी मैंग्रोव की प्रजातियों के जीवाश्म और विभिन्न क्षेत्रों में मौजूद वर्तमान प्रजातियों के अध्ययन में पाया है कि 2070 तक मैंग्रोव की 50 प्रतिशत से अधिक प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी।
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यह शोध प्रख्यात अंतरराष्ट्रीय विज्ञान पत्रिका इकोलॉजिकल इनफार्मेटिक्स में प्रकाशित हुआ है। इस शोध के अनुसार जलवायु परिवर्तन, वर्षा और समुद्र के स्तर में परिवर्तन और तापमान में लगातार वृद्धि के कारण मैंग्रोव वनों में भूमि की ओर स्थानांतरण बढ़ रहा है। देश के दक्षिण-पश्चिम में, दक्षिण-पूर्व में कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में मौजूद मैंग्रोव के पेड़ों पर ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक असर दिख रहा है।
इसलिए अनूठे हैं मैंग्रोव वन
मैंग्रोव वन असल में एक ऐसी प्राकृतिक ढाल की तरह होते हैं, जो समुद्र में गिरने वाली नदियों के मुहाने पर प्राकृतिक रूप से उगते हैं। ये समुद्री तूफानों, सुनामी और अन्य आपदाओं से बचाने में सहायक की भूमिका निभाते हैं। ये वन समुद्र और पृथ्वी तल के बीच के बफर जोन का भी काम करते हैं, जिससे मिट्टी का कटाव नहीं होता।