Mahadev Govind Ranade Story: सत्य के प्रति रानाडे की यह निष्ठा देख, आप भी रह जाएंगे भौचक्के
punjabkesari.in Tuesday, Nov 28, 2023 - 08:44 AM (IST)
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Mahadev Govind Ranade Story: यह तब की बात है जब महादेव गोविंद रानाडे बालक थे। एक दिन वे घर में अकेले थे। तभी उन्हें ख्याल आया कि कोई ऐसा खेल खेलना चाहिए, जो अकेले ही खेला जा सके। उन्होंने मकान में लगे खंभे को अपना साथी बनाया। उन्होंने खंभे के लिए अपना दाहिना हाथ और खुद के लिए अपना बायां हाथ तय किया। फिर उन्होंने खेलना आरंभ किया। पहले उन्होंने अपने दाहिने हाथ से पासा फैंका। यह खंभे का दांव था। फिर उन्होंने बाएं हाथ से पासा फैंका, यह उनका अपना दांव था।
मगर खेल शुरू करने के कुछ ही देर बाद रानाडे खंभे से या कि यूं कहें कि अपने ही दाहिने हाथ से हार गए। रानाडे को पता नहीं था कि सामने सड़क पर खड़े कुछ लोग उनका खेल देख रहे थे।
उन लोगों ने रानाडे से पूछे, “क्या भैया, तुम खंभे से हार गए ?
इस पर रानाडे बोले, “क्या करूं ? बाएं हाथ से पासा फैंकने की आदत नहीं है। खंभे के पास मेरा दाहिना हाथ था, सो वह जीत गया।
फिर लोगों ने पूछा, “तुमने दाहिना हाथ अपने लिए और बायां हाथ खंभे के लिए क्यों नहीं रखा ?”
रानाडे बोले, “हार गया तो क्या हुआ ? कोई मुझे बेईमान तो नहीं कह सकता न। अपने लिए दाहिना हाथ रखता और बेजान खंभे के लिए बायां तो बेईमान कहलाता। बेचारे खंभे के साथ अन्याय हो जाता। अन्याय करना तो बहुत बुरा होता है।
रानाडे की बात सुनकर लोग भौचक्के रह गए। रानाडे ने सिखाया कि जीवन में जब भी निर्णय लेने का अवसर आए तो हमेशा सामने वाले का ख्याल अपने से ज्यादा रखो, तभी हम पूरे तरीके से न्याय कर पाएंगे। सत्य के प्रति रानाडे की यह निष्ठा आजीवन बनी रही।