दुख और सुख में बेकाबू मन को काबू में रखेगी महाभारत की ये सीख़

punjabkesari.in Monday, Jul 15, 2019 - 01:32 PM (IST)

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महाभारत का युद्ध एक ऐतिहासिक युद्ध रहा है। जिसमें कौरव और पांडवों के बीच हुए युद्ध के माध्यम से ये बताया गया है कि हमें किन कामों से बचना चाहिए। महाभारत के भीष्म पर्व की एक नीति में सुख और दुख के टाइम पर किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए, उसके बारे में बताया गया है। उसमें मन को हर परिस्थिति में काबू रखने के बारे में भी बताया है। जिससे कि जीवन में होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। चलिए आगे जानते हैं किस तरह करना चाहिए, व्यक्ति को हर स्थिति में समझदारी से काम लेना चाहिए।
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श्लोकः
न प्रह्दष्येत प्रियं प्राप्त नोद्विजेत् प्राप्य चाप्रियम्।
स्थिरबुद्धिरसम्मूढो ब्रह्मविद् ब्रह्मणि स्थितः।।
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इस श्लोक के अनुसार जब भी कोई व्यक्ति सुख में होता है, तब वह अपने मन को वश में नहीं रखता, बल्कि खुद उसके वश में हो जाता है। क्योंकि अपनी खुशी में हर इंसान सब कुछ भूल जाता है और खुशी-खुशी में व्यक्ति दूसरों को कुछ ऐसी बातें कह देता है, जिसे बाद में उसे पूरा कर पाना मुश्किल होता है। ये बात हमेशा ध्यान रखनी चाहिए कि अच्छे दिन हर समय नहीं रहते, इसलिए सुख के समय अपने मन को अपने वश में रखें। साथ ही अपने शब्दों और कार्यों का चयन सोच-समझ कर करें।
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कई बार ऐसा होता है कि लोग बुरे समय में अपना धैर्य खो देते हैं और अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए ऐसे काम करने लगते हैं, जो उन्हें कभी नहीं करना चाहिए। दुख ही एक ऐसा समय होता है, जो मनुष्य को आसानी से गलत रास्ते पर चलने पर मजबूर करता है। हमें ये बात समझनी चाहिए कि कैसा भी समय हो, वह हमेशा नहीं टिकता। अगर अपने बुरे समय में समझदारी से काम लें और किसी भी रूप में अधर्म न करें तो जल्द ही अच्छा समय भी आ जाता है। 


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